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एपल ने चुराई दो भारतीयों की तकनीक, भरना होगा 1478 करोड का जुर्माना

Source : business.khaskhabar.com | Oct 17, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 apple ordered to pay rupees crore to wisconsin university for stealing patant  न्यूयॉर्क। अमेरिका की एक अदालत ने पेटेंट चुराने के केस में दिग्गज टेलीकम्युनिकेशन कंपनी एपल पर भारी भरकम 234 मिलियन डॉलर (करीब 1478 करोड रूपये) का जुर्माना लगाया है। एपल को यह रकम यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन मैडिसन को देनी होगी। एपल पर इसी यूनिवर्सिटी की माइक्रोचिप टेक्नोजॉजी का पेटेंट चुराने का आरोप साबित हुआ है। इस तकनीक को विकसित करने वाली टीम में दो भारतीय गुरिंदर होही और टीएन विजय कुमार भी हैं। ये दोनों बिट्स-पिलानी के छात्र रहे हैं।

एपल पर विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के विस्कॉन्सिन एल्युमिनी रिसर्च फाउंडेशन (डब्ल्यूएआरएफ) ने बिना अनुमति के उसकी माइक्रोचिप प्रौद्योगिकी को अपने आईफोन और आईपैड में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। इस मामले में डब्ल्यूएआरएफ ने एपल से जुर्माने के तौर पर 40 करोड डॉलर का दावा किया था। एपल ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी। वहीं डब्ल्यूएआरएफ ने इस फैसले की तारीफ की और कहा कि यह फैसला शानदार खबर है। फैसला सुनाने से पहले जजों ने साढे तीन घंटे तक चर्चा की थी। मामले में ट्रायल की शुरूआत पांच अक्टूबर को हुई थी।

डब्ल्यूएआरएफ ने जनवरी 2014 में एपल पर केस किया था और आरोप लगाया था कि एपल ने उसके 1998 के "प्रेडिक्टर सर्किट" पेटेंट की चोरी की। इस सर्किट को गुरिंदर सोही और उनके तीन छात्रों ने बनाया था। जूरी ने माना कि एपल के ए7, ए8 और ए8एक्स प्रोसेसर जो कि Rमश: आईफोन 5एस, 6 और 6 प्लस में इस्तेमाल किए गए हैं, ने पेटेंट का उल्लंघन किया। डब्ल्यूएआरएफ ने इसी पेटेंट पर 2008 में इटेंल कॉर्प पर भी केस किया था और इसके बदले उसे 110 मिलियन डॉलर मिले थे। एपल ने अपने पर लगे केस पर अपील करते हुए कहा कि डब्ल्यूएआरएफ का पेटेंट केवल 7 सेंट प्रति डिवाइस के हिसाब से होना चाहिए न कि 2.71 डॉलर प्रति डिवाइस के हिसाब से।

यह है मामला

- एपल आईफोन 5एस, 6 और नए प्रोडक्ट 6एस में माइक्रोचिप टेक्नोलॉजी ए7, ए8 और ए8एक्स का इस्तेमाल करती है। यह टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन मैडिसन के रिसर्चर्स ने डेवलप की थी।

- इस टेक्नोलॉजी का विस्कॉन्सिन एल्युमनी रिसर्च फाउंडेशन (डब्लूआरएफ) ने 1998 में पेटेंट कराया था।

- इस टेक्नोलॉजी से एपल के चिप की परफार्मेस बढ गई। रिसर्चर का यह काम "टेबल बेस्ड डाटा स्पेकुलेशन सर्किट फॉर पैररल प्रॉसेसिंग कम्प्यूटर" टाइटल वाले पेपर में दर्ज है। उन्हें प्त5781752 पेटेंट नंबर मिला था।

- कोर्ट में दस्तावेज में डब्लूएआरएफ ने दावा किया कि सोही और विजय कुमार सहित उसके चार रिसर्चर्स ने उस माइक्रो टेक्नोलॉजी को डेवलप किया, जिसे एपल अपने चिप में इस्तेमाल कर रही है।

- अमेरिका की एक कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद पिछले हफ्ते पाया कि यूनिवर्सिटी की इस तकनीक को आईफोन मेकर कंपनी ने बिना इजाजत के इस्तेमाल किया था।

- यूनिवर्सिटी के मुताबिक, कम्प्यूटर आर्किटेक्चर और डिजाइन में हमारे रिसर्चर्स के काम को पहचान मिली थी। जिस लैब ने इस डिजाइन को डेवलप किया था, डॉ सोही उसके लीडर थे। उन्हें नेशनल अकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग का अवॉर्ड भी मिला था। सोही ने यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन के कम्प्यूटर साइंसेज डिपार्टमेंट में 2004 से 2008 तक चेयरमैन के रूप में काम किया है। वह फिलहाल प्रोफेसर हैं। वह इस यूनिवर्सिटीसे 1985 से जुडे हुए थे। विजय कुमार पड्र्स यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल और कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में प्रोफेसर हैं।