उत्पादन बढ़ाने कृषि यंत्रीकरण जरूरी : राधा मोहन
Source : business.khaskhabar.com | July 04, 2017 |
श्रीनगर। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने यहां सोमवार को कहा कि कृषि यंत्रीकरण कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है, जो उत्पादन वृद्धि में मदद करता है, घाटे को घटाता है, महंगे आदानों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित कर विभिन्न कृषि कार्यों की लागत घटाता है और प्राकृतिक संसाधनों की उत्पादकता में वृद्धि करता है।
सिंह ने शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में आयोजित संसदीय परामर्शदात्री समिति की अंतर सत्र बैठक में कहा कि 1960-61 तक लगभग 92.30 प्रतिशत कृषि कार्यों में उपयोग होने वाली शक्ति सजीव स्रोतों से आ रही थी, जबकि 2014-15 में सजीव शक्ति स्रोतों का योगदान घटकर लगभग 9.46 प्रतिशत रह गया है और यांत्रिक और विद्युत स्रोतों की शक्ति का योगदान 1960-61 में जो 7.70 प्रतिशत था, वह बढक़र 2014-15 में लगभग 90.54 प्रतिशत हो गया है।
बैठक के दौरान चर्चा का विषय था- ‘कृषि यंत्रीकरण’। इस मौके पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री सुदर्शन भगत मौजूद थे।
सिंह ने कहा, ‘‘कृषि यंत्रीकरण का स्तर खेती योग्य इकाई क्षेत्र मे उपलब्ध यांत्रिक शक्ति के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है, जो भारत में पिछले 43 वर्षों के दौरान बहुत धीमी गति अर्थात 1975-76 में जो 0.48 किलोवाट प्रति हेक्टेयर था, वर्ष 2013-14 में बढक़र 1.84 किलोवाट प्रति हेक्टेयर हो गया है। हालांकि, 2014-15 से 2016-17 के दौरान यह बढक़र 2.02 किलोवाट/हेक्टेयर हो गया है, जो मुख्यरूप से कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के केंद्रित प्रयासों के कारण है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष अनाज मामले मे रिकॉर्ड उत्पादन हासिल किया गया है। हालांकि, अनाज की मांग बढ़ रही है और अनुमान है कि 2025 तक हमें 30 करोड़ टन से ज्यादा उत्पादन करना होगा। 2011 की जनगणना के अनुसार, 26.3 करोड़ लोग (54.6 प्रतिशत) कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जो 2020 तक घटकर 19.0 करोड़ (33 प्रतिशत) रह जाने की संभावना है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कृषि कार्यों के महत्वपूर्ण सीजन जैसे कि बुवाई और कटाई हेतु श्रमिकों की कमी होगी और इसका उत्पादन पर प्रतिकूल असर होगा। लिहाजा विभिन्न कृषि कार्यों के लिए ऊर्जा की अतिरिक्त मांग को कृषि मशीनीकरण के माध्यम से पूरा करना होगा और इसके लिए कृषि यंत्रीकरण तेजी से बढ़ाने की जरूरत है।’’
कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘देश मे कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2014-15 से कृषि यंत्रीकरण उपमिशन प्रारम्भ किया गया है, जिसका उदेश्य छोटे और सीमान्त किसानों तथा उन क्षेत्रों में कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना है, जहां कृषि यंत्रों की उपलब्धता कम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष (2017-18) के दौरान, कृषि यंत्रीकरण उपमिशन के लिए आवंटन पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना किया गया है, जो 577 करोड़ रुपये है। आवंटित राशि का उपयोग करके मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों ने कृषि यंत्रीकरण में अच्छी प्रगति की है।’’
(आईएएनएस)
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