शेयर बाजार : संसद के शीत सत्र पर रहेगी नजर
Source : business.khaskhabar.com | Nov 16, 2014 | 

मुंबई। आगामी सप्ताह में विभिन्न आर्थिक आंक़डे, विदेशी संस्थागत निवेश के आंक़डों, वैश्विक बाजारों के रूझान, डॉलर के मुकाबले रूपये की चाल और तेल के मूल्य पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी। बाजार के निवेशकों की निगाह आगामी सप्ताह में मुख्य रूप से संसद के शीतकालीन सत्र पर टिकी रहेगी। संसद का शीतकालीन सत्र 24 नवंबर को शुरू होने जा रहा है, जो 23 दिसंबर को समाप्त होगा। इस सत्र में आर्थिक महत्व के कई विधेयकों से संबंधित घटनाक्रमों पर निवेशकों की निगाह रहेगी। इस सत्र में बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास व पुनस्र्थापना जैसे विधेयकों को पारित करने की कोशिश की जा सकती है। सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संविधान संशोधन विधेयक पर भी कदम आगे बढ़ा सकती है। सोमवार 17 नवंबर को चीन के दो शेयर बाजार स्टॉक कनेक्ट योजना की तहत जु़ड जाएंगे।
हांगकांग और शंघाई स्टॉक एक्सचेंजों को जो़डने की इस योजना को चीन के नियामकों ने 10 नवंबर को मंजूरी दे दी है। हांगकांग एक्सचेंजेज एंड क्लियरिंग (एचकेई) को शंघाई के शेयर बजार से जो़डने की योजना को हांगकांग-शंघाई स्टॉक कनेक्ट कहा जा रहा है। शेयर बाजारों के जु़ड जाने से दोनों बाजारों के निवेशक दोनों ही बाजारों में सूचीबद्ध शेयरों में ट्रेड कर सकेंगे। सोमवार 17 नवंबर को ही जापान तीसरी तिमाही के लिए अपनी विकास दर के ओक़डे जारी करेगा। इसी दिन अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व अक्टूबर महीने के लिए अमेरिका के औद्योगिक उत्पादन आंक़डे जारी करेगा। निवेशकों की निगाह आगामी सप्ताह में कच्चो तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत पर भी टिकी रहेगी। हाल के महीनों में तेल मूल्य में काफी गिरावट दर्ज की गई है। इसी का फायदा उठाते हुए सरकार ने डीजल मूल्य को नियंत्रण मुक्त भी कर दिया है।
कच्चो तेल की कीमत घटने से सरकार को चालू खाता घाटा और ईधन महंगाई दर कम करने में मदद मिलेगी। देश को अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करना प़डता है। सरकारी तेल कंपनियां रविवार 16 नवंबर को मूल्यों की समीक्षा करेंगी। भारतीय रिजर्व बैंक दो दिसंबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है। रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव है, क्योंकि गत सप्ताह जारी आंक़डों के मुताबिक थोक और उपभोक्ता महंगाई दर दोनों में गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन इसके साथ ही औद्योगिक उत्पादन में हुई वृद्धि से रिजर्व बैंक सख्त मौद्रिक नीति पर बने रहने के लिए आश्वस्त रह सकता है।