रतन टाटा और सायरस मिस्त्री से पूछताछ करेगी सीबीआई
Source : business.khaskhabar.com | Apr 04, 2014 | 

नई दिल्ली। सीबीआई कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की फोन पर पकडी गई बातचीत की प्रारंभिक जांच के सिलसिले में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा व मौजूदा प्रमुख सायरस मिस्त्री से पूछताछ करेगी। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि एजेंसी टाटा व मिस्त्री से स्पष्टीकरण मांगेगी। राडिया की फोन टैपिंग मामले में एजेंसी ने दो प्रारंभिक जांच में टाटा समूह का नाम शामिल किया है।
सूत्रों ने कहा कि दोनों से जल्द इस पर स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। सीबीआई के कदम के बारे में पूछे जाने पर टाटा संस के प्रवक्ता ने कहा, "हमारे पास इस बारे में कोई सूचना नहीं है। हमें इसके बारे में पता नहीं है।" यह मामला टाटा मोटर्स द्वारा तमिलनाडु सरकार को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन योजना के तहत लो-फ्लोर बसों की आपूर्ति से संबंधित है।
फिलहाल इसकी जांच सीबीआई की चेन्नई शाखा द्वारा की जा रही है। सूत्रों ने कहा कि झारखंड के सिंहभूम जिले के अनकुआ में टाटा स्टील को लौह अयस्क खदान के आवंटन की भी जांच हो रही है। उन्होंने कहा कि एजेंसी को अभी तक अपनी जांच में किसी तरह की गडबडी के बारे में पता नहीं चला है। लेकिन टैप की गई बातचीत में चूंकि इन सौदों की बात आई है इसलिए टाटा व मिस्त्री से कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। सूत्रों ने बताया कि टीवी चैनल के एक पत्रकार व एक प्रमुख समाचार पत्र समूह के वरिष्ठ कार्यकारी से एजेंसी पहले ही पूछताछ कर चुकी है।
साथ ही एजेंसी ने रिलायंस, यूनिटेक और टाटा मोटर्स के कार्यकारियों से भी पूछताछ की है। आयकर विभाग द्वारा पकडी गई राडिया की बातचीत से निकलकर सामने आए कथित भ्रष्टाचार के मुद्दों पर सीबीआई ने 14 प्रारंभिक जांच मामले दर्ज किए हैं। पिछले साल न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने 23 मुद्दों की पहचान की थी जो कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त टीम द्वारा राडिया की नौकरशाहों, राजनीतिज्ञों, कॉरपोरेट जगत की हस्तियों व पत्रकारों के साथ टैप की गई वार्ता के विश्लेषण के आधार पर तय किए गए थे।
अदालत ने एक मुद्दा खान विभाग के मुख्य सतर्कता अधिकारी को भी जांच के लिए भेजा था। जबकि एक अन्य मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा गया था। पीठ ने कहा था, "नीरा राडिया और उसके सहयोगियों की विभिन्न व्यक्तियों के साथ हुई बातचीत से लगता है कि निहित स्वार्थी तत्वों ने सरकारी अधिकारियों से अपने पक्ष में काम करवाने के लिए भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल किया और ऎसा लगता है कि इसके लिए उन्हें अलग से प्रतिफल प्राप्त हुआ।"