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तांबा खानें स्थानीय समुदाय के लिए खतरा

Source : business.khaskhabar.com | Aug 11, 2014 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 Madhya Pradesh copper mines threat to the local communityमलाजखंड (मध्य प्रदेश)। मध्य प्रदेश में एशिया की सबसे ब़डी तांबे की खान वहां के स्थानीय लोगों व आदिवासियों के लिए खतरा बन चुकी हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि राजधानी भोपाल से करीब 370 किलोमीटर दूर स्थित बालाघाट जिले के मलाजखंड इलाके के लोग सिकु़डती हुई खेती और खनन गतिविधि के कारण क्षरण से जूझ रहे हैं।
अब सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) अपना उत्पादन करीब दोगुणा करते हुए 50 लाख टन वार्षिक उत्पादन करने पर विचार कर रही है। मौजूदा समय में यहां से 20 लाख टन वार्षिक खनन हो रहा है और खनन बढ़ाने के लिए उसे वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनिवार्य अनापत्ति मिल चुकी है। पर्यावरणविदों को डर है कि इससे वनों का विनाश बढ़ेगा और आसपास के पर्यावरण पर बुरा असर प़डेगा।
मलाजखंड क्षेत्र कान्हा राष्ट्रीय पार्क से महज 20 किलोमीटर दूर स्थित है और यहां देश का 70 प्रतिशत तांबे का भंडार है। एचसीएल के संपूर्ण उत्पादन का 80 प्रतिशत यहीं की खानों से होता है। भिलाई प्रौद्योगिकी संस्थान के पर्यावरणीय विज्ञान एवं अभियंत्रण केंद्र ने उल्लेख किया है कि क्षेत्र में अयस्क शोधन संयंत्र से पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंच रही है और इससे मनुष्य एवं पशु दोनों के स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है।
 केंद्र के वैज्ञानिकों ने उल्लेख किया कि संयंत्र के सिरा बांध से दूषित जल का रिसाव होता है, जिसमें कई खतरनाक भारी धातु घुले होते हैं। इन खतरनाक धातुओं में निकेल, जस्ता और सीसा होते हैं, जो मिट्टी में समाकर जल को दूषित करते हैं और विभिन्न तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं।