बायो-डीजल के इस्तेमाल को बढावा देगी रेलवे
Source : business.khaskhabar.com | Nov 06, 2014 |
नई दिल्ली। पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने के प्रति चिंतित भारतीय रेलवे ने अपने चार हजार डीजल इंजनों के विशाल बेडे के लिए वैकल्पिक ईंधन जैसे बायो-डीजल के इस्तेमाल को बडे पैमाने पर बढावा देने का फैसला किया है। रेल मंत्री डीवी सदानंद गौडा ने जैव ईंधन-2014 सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कहीं। सम्मेलन का विषय है- भारत में बायो-डीजल क्षेत्र में वृद्धि और व्यवसाय अवसरों को बढावा, जिसका आयोजन बायो-डीजल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने किया। गौडा ने कहा कि रेलवे देश में डीजल का ब़डी तादाद में इस्तेमाल करने वाला सबसे बडा उपभोक्ता है। जैसाकि रेल बजट 2014-15 में कहा गया था, भारतीय रेलवे डीजल इंजनों में खर्च होने वाले कुल ईंधन का पांच प्रतिशत बायो-डीजल का इस्तेमाल शुरू करेगी इससे पर्याप्त मात्रा में बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी। डीजल इंजन देश में रेल यातायात के बडे हिस्से की जरूरतों को पूरा करता है जिसमें यात्री और माल भाडा रेलगाडियां शामिल हैं।
भारतीय रेलवे हर वर्ष दो अरब लीटर से ज्यादा डीजल का इस्तेमाल करती है। इसके लिए रेलवे को हर वर्ष 15,000 करोड रूपए खर्च करने पडते हैं। बायो-डीजल मिलाकर ईंधन की खपत में मामूली कमी से भी ईंधन के बिल में पर्याप्त बचत हो सकती है। साथ ही, कार्बन उत्सर्जन कम होने के कारण स्वच्छ पर्यावरण का लाभ भी मिलेगा। इसके लिए इंजन के डिजाइन में भी कोई परिवर्तन की जरूरत नहीं होगी। रेल इंजनों में अलग-अलग मात्रा में बायो-डीजल का इस्तेमाल करते हुए आरडीएसओ पहले ही परीक्षण कर चुकी है। गौडा ने बताया कि भारतीय रेलवे ने शुरू में हाई स्पीड डीजल के साथ जटरोफा के पौधे से निकाले गए बायो-डीजल को मिलाने का प्रयास किया था।
भारत में जटरोफा तेल का इस्तेमाल बायो-डीजल के रूप में सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग और वनवासी करते हैं। जटरोफा तेल का इस्तेमाल डीजल जनरेटर और इंजनों में रिफाइन किए बिना किया जा सकता है। रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे रेल पटरी के साथ-साथ जटरोफा के पौधे लगाने की संभावनाओं का पता लगाने पर विचार करेगी। रेलवे ने बायो-डीजल और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल अन्य ईंधनों के इस्तेमाल को बढावा देने के लिए भारतीय रेलवे वैकल्पिक ईंधन संगठन की स्थापना की है। इस अवसर पर रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि बायो-डीजल में दिलचस्पी पैदा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रतिस्पर्धात्मक और आकर्षक मूल्यों में बायो-डीजल उपलब्ध कराया जाएगा।