भारत को मिलेगी एपेक की सदस्यता!
Source : business.khaskhabar.com | Dec 14, 2015 | 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी की "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" को बडी सफलता मिलने की संभावना बनी है। खबर है कि भारत को जल्द ही 21 देशों की सदस्यता वाले "एशिया पैसिफिक इकनॉमिक कोऑपरेशन" (एपेक) की सदस्यता मिल सकती है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार विदेशी दौरा कर दुनियाभर में भारत का दबदबा मनवाने की कोशिश में जुटे मोदी की मेहनत रंग लाती दिख रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक उच्च अधिकारी के हवाले से खबर है कि मोदी और शिंजो अबे की मुलाकात के दौरान अबे ने भारत के एपेक की सदस्यता का समर्थन करने के साथ ही मोदी को भरोसा दिलाया कि वह अन्य देशों के साथ चर्चा कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि भारत को इस संगठन की सदस्यता मिले।
बता दें कि पिछले माह भारत के दौरे पर आए ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रड ने भी भारत के सदस्य बनने की उम्मीद जताई थी। एशिया पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन की स्थापना 1989 में की गई थी। इसका मुख्यालय सिंगापुर में है। 21 देश ऑस्ट्रेलिया ,ब्रुनई, इंडोनेशिया, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, अमेरिका, हांगकांग, चीन, मैक्सिकों, गुआना, चिली, पेरू, रूस, वियतनाम इसके सदस्य हैं।
दुनिया की आबादी का करीब 40 फीसदी हिस्सा, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 55 प्रतिशत और विश्व व्यापार का करीब 44 फीसदी हिस्सा एपेक के तहत है। जानकारों का कहना है कि एफडीआई के साथ ही विदेशी कंपनीयों को लेकर भारत सरकार की ढुलमुल नीती के कारण भी भारत की राह मुश्किल रही थी।
आर्थिक ग्रोथ को लेकर सरकार की नीति और विदेशी कंपनियों को अनुमति मिलने में लगने वाले लंबे समय से भी भारत की छवि को बिजनेस फ्रेंडली देशों की सूची में जगह नहीं मिल पा रही थी।