कम समय में अधिक रिटर्न यानी बडी समस्या : सेबी
Source : business.khaskhabar.com | Aug 04, 2014 | 

नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक ने निवेशकों को अफवाहों और सुनी सुनाई बातों के आधार पर तथा कम समय में अधिक रिटर्न के लालच में निवेश नहीं करने के लिए जागरक बनाने हेतु बडा मीडिया अभियान शुरू किया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इसके लिए टीवी, रेडियो तथा प्रिंट मीडिया की मदद लेगा। इस मीडिया अभियान में वह विशेष रूप से सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) को निशाना बनाएगा जिसमें निवेशकों से कुछ ही महीने में निवेश दोगुना करने का वादा किया जाता है।
इस तरह की योजनाओं में कुछ हजार या लाख रूपए के निवेश पर निवेशक को सारी उम्र स्थाई रिटर्न की गारंटी भी दी जाती है। सेबी ने अपने इन अभियानों के लिए पेशेवर एजेंसियों की मदद ली है और वह यह अभियान 13 भाषाओं में चलाएगा जिनमें हिंदी व अंग्रेजी के अलावा बंगाली, असमी, ओडिया, गुजराती, कन्नड, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल, तेलुगु तथ उर्दू शामिल है। यह अभियान समूचे देश में चलेगा और इसमें विशेषकर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ, ओडिशा तथा महाराष्ट्र राज्य पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सेबी ने इस तरह के एक अभियान में कहा है, "हजारों निवेश करें, तुंरत लाखों कमाएं। यह कैसे संभव है!"
नियामक ने कहा है, कम समय में उंची कमाई समझो गडबड है, नियामक ने निवेशकों से कहा है कि ऎसी किसी भी योजना में निवेश से पहले योजना का पूरा ब्यौरा सावधानी से पढें और देखें। सेबी ने अपने इस अभियान में इस तरह की योजनाओं की बिक्री करने वालों द्वारा आमतौर पर उपयोग में लाए जाने वाले तरीके का भी भंडाफोड किया है। आमतौर पर ऎसी धोखाधडी की योजनायें चलाने वाले अपने किसी नजदीकी द्वारा थोडे ही समय में धन दोगुना करने का उदहारण देते हैं। हर कोई ऎसा उदाहरण देता है, लेकिन वास्तव में ऎसा कोई होता नहीं है।
सेबी ने अपने टेलीविजन अभियान में इसका बखूबी खुलासा किया है। सेबी देशभर में की जा रही निवेशक शिक्षा बैठकों के जरिए भी निवेशकों को सावधान कर रहा है। हाल के दिनों में सामूहिक निवेश की कई योजनाएं सामने आईं हैं जिनमें कई लोगों से धन एकत्रित किया जाता है और फिर नए निवेशकों से धन जुटाकर पुराने निवेशकों को दे दिया जाता है, जब तक इसके संचालक गायब नहीं हो जाते हैं तब तक यह चक्र चलता रहता है। इस तरह की कई पौंजी योजनायें हाल में सामने आईं हैं। इस तरह की करीब 500 योजनाओं को सेबी की सख्ती का सामना करना पडा है। माना जा रहा है कि देश के विभिन्न कोनों में इस तरह की और भी कई योजनाएं अभी भी चल रही है जो निवेशकों को चूना लगा रही हैं।