आसियान देशों संग व्यापार समझौते से नुकसान की आशंका
Source : business.khaskhabar.com | Feb 27, 2016 | 

नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र जारी है और लोगों को बजट का इंतजार है। लेकिन इस दौरान कई नागरिक संगठनों ने ब्रुनेई में पिछले हफ्ते (15-19 फरवरी) 16 देशों के बीच गुप्त व्यापारिक बैठक में हुए गोपनीय समझौतों पर सवाल उठाए हैं। संगठनों का कहना है कि इन समझौतों से सरकार को राजस्व की हानि होगी और घरेलू उद्योगों पर भी असर प़डेगा। आसियान देशों के बीच हुए मेगा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के 2016 से लागू होने की संभावना है।
इस समझौते के तहत आशियान समूह के 10 देशों के अलावा भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच वस्तु, सेवाओं, निवेश, प्रतिस्र्पधा, बौद्धिक संपदा और दूसरे क्षेत्रों में आर्थिक और तकनीकी समझौते किए गए हैं। एशिया प्रशांत के ये सभी देशों की कुल सकल घरेलू निवेश दुनिया का एक-तिहाई है। इस बारे में अर्थशास्त्री कंवलजीत सिंह का कहना है, ""इन देशों के साथ समझौता करने से पहले भारत सरकार को व्यापार और निवेश के साथ ही बौद्धिक संपदा अधिकार और कर संबंधी मुद्दों को भी ध्यान में रखना चाहिए था।"" न्यू ट्रेड यूनियन इनीशिएटिव के महासचिव गौतम मोदी ने कहा, ""इस समझौते से बौद्धिक संपदा अधिकार को हानि होगी और सरकार को राजस्व की भी हानि होगी।""
कानूनी शोधकर्ता शालिनी भूटानी के अनुसार, ""अभी तक समझौते में कर के बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। सरकार को ऎसा कोई समझौता करने से पहले जनता को विश्वास में लेना चाहिए था।"" एशिया एंड पैसिफिक ऑफ द ग्लोबल ट्रेड की क्षेत्रीय सचिव वी. लक्ष्मी का कहना है कि इस समझौते से प्रभावी और ईमानदार कर प्रणाली को नुकसान होगा।""(IANS)