आईटी रिटर्न : करदाताओं को मिलेगा डिजिटल हस्ताक्षर
Source : business.khaskhabar.com | Mar 24, 2014 | 

नई दिल्ली। इलेक्ट्रानिक तरीके से भरे गए रिटर्न की प्रति (हार्ड कापी) डाक से भेजे जाने में होने वाली समस्या को दूर करने के इरादे से आयकर विभाग ने करदाताओं की पहचान के सत्यापन के लिये इलेक्ट्रानिक हस्ताक्षर की व्यवस्था शुरू करने का फैसला किया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने नई प्रणाली अगले वित्त वर्ष के अंत मार्च 2015 से लागू करने का निर्णय किया है।
मामले से जुडे आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीबीडीटी ई-रिटर्न (आईटीआर 5) के लिए नई व्यवस्था क्रियान्वित करने से पहले कानूनी स्थिति तथा प्रौद्योगिकी जरूरतों को पूरा करने के लिए कानून और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संपर्क करेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह अभी देखा जाना है कि करदाताओं द्वारा इलेक्ट्रानिक या डिजिटल हस्ताक्षर प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या होगी।
इससे उन करदाताओं पर अतिरिक्त खर्च या प्रक्रियागत बोझ पड सकता है जो आयकर रिटर्न आनलाइन भरने का विकल्प अपनाते हैं। डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग फिलहाल कंपनियां कर रही हैं। यह एक बयान होता है जो भेजने वाले की पहचान का सत्यापन करता है।
डिजिटल हस्ताक्षर की स्थिति में शुल्क का भुगतान कर इसे सृजित किया जाता है और इसका नियमित नवीनीकरण होता है। यही कारण है कि इसे नौकरीपेशा और अन्य श्रेणी के करदाताओं पर एक बोझ के रूप में देखा जा रहा है। इतना ही नहीं विभाग की उक्त समयसीमा के अंदर स्त्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) वाले दस्तावेज की अपने आधिकारिक वेब पोर्टल के जरिए ई-फाइलिंग की व्यवस्था शुरू करने की भी योजना है।
फिलहाल इसका उपयोग करदाता इलेक्ट्रानिक रिटर्न भरने के लिए करते हैं। मौजूदा नियमों के अनुसार ई-रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं को उसकी एक प्रति डाक से आयकर विभाग के बेंगलूर स्थित सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) को भेजनी होती है। डाक से भेजे गए आईटीआर 5 प्राप्त करने के बाद सीपीसी कर रिटर्न दाखिल करने वालों को इलेक्ट्रानिक तरीके से प्राप्ति की सूचना देता है। हालांकि कई मामलों में डाक विभिन्न कारणों से सीपीसी तक नहीं पहुंच पाता और फलस्वरूप कर विभाग करदाता के रिटर्न को खारिज कर दिया जाता है। इस स्थिति में समस्या उत्पन्न होती है।