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लोकसभा में पेश हुआ आर्थिक सर्वे, मंदी की आशंका जताई

Source : business.khaskhabar.com | Feb 26, 2016 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 Arun jaitley presents financial survey in Lok Sabha, government may raise more monthly income   नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली आज लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया। पिछले 12 महीने की आर्थिक स्थिति और विभिन्न विकास कार्यक्रमों की समीक्षा रिपोर्ट है। इसमें सन 2016-17 के लिए अनुमानित आंकडे जारी किए गए हैं। सर्वेक्षण में जीडीपी ग्रोथ 7.6 की बजाय 7-7.5 फीसदी रहने का अनुमान जताते हुए मंदी की आशंका भी जताई गई है लेकिन कहा है कि फिर भी भारत सबसे तेजी से बढने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। इसके साथ ही 2016-17 में खुदरा महंगाई दर 4 से 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। ऎसे में आने वाले दो वर्ष में रोजगार बढने के आसार है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सरकार सुधार प्रçRया को आगे बढाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस तरह के तीव्र विकास के लिए जो मौजूदा स्थितियां हैं, उनमें वृहत-आर्थिक स्थिरता सहायक साबित हो रही है।

आर्थिक समीक्षा में वर्ष 2016-17 के दौरान आर्थिक विकास दर 7 से लेकर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 2014-15 में 7.2 प्रतिशत और वर्ष 2015-16 में 7.6 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल करने के बाद 7 प्रतिशत से ज्यादा की विकास दर ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था में तब्दील कर दिया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान अब और अधिक मूल्यवान हो गया है, क्योंकि चीन फिलहाल अपने को फिर से संतुलित करने में जुटा हुआ है।

आर्थिक समीक्षा में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत में विकास के मोर्चे पर जो तेजी देखी जा रही है, वह मुख्यत: खपत की बदौलत ही संभव हो रही है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि जहां एक ओर सेवा क्षेत्र के विकास की रफ्तार थोडी धीमी प़ड गई, वहीं विनिर्माण क्षेत्र में आई तेजी ने लगातार दो वर्षो से मानसून के कमजोर रहने के चलते कृषि क्षेत्र में दर्ज की गई निम्न विकास दर की भरपाई कर दी है। आर्थिक समीक्षा में, हालांकि, कमजोर वैश्विक मांग के प्रति आगाह किया गया है।
आर्थिक समीक्षा 2015-16 में कहा गया है कि 14वें वित्त आयोग (एफएफसी) की सिफारिशों के बाद ज्यादा पूंजीगत खर्च, राज्यों को ज्यादा शुद्ध संसाधन हस्तांतरण और ज्यादा सकल कर राजस्व के बीच संतुलन कायम करने की कोशिश की जा रही है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बेहतर राजकोषीय प्रबंधन का एक संकेतक यह है कि वर्ष 2015-16 में कुल खर्च 17.77 लाख करोड रूपये रहने का अनुमान है, जो वर्ष 2014-15 के संशोधित अनुमानों से 5.7 प्रतिशत ज्यादा है। व्यय की गुणवत्ता पर फोकस को दोहराते हुए पूंजीगत खर्च में 25.5 प्रतिशत की वृद्धि की परिकल्पना की गई थी। आर्थिक समीक्षा 2015-16 में इस ओर भी ध्यान दिलाया गया है कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से ऋणात्मक स्तर को दर्शा रही है।

यही नहीं, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर भी घटकर विगत वषोंü के मुकाबले लगभग आधी रह गई है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि विवेकपूर्ण नीतियों और बफर स्टॉक, समय पर अनाजों के वितरण एवं दाल आयात के जरिए सरकार द्वारा किये जा रहे महंगाई प्रबंधन से आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को वर्ष 2015-16 के दौरान नियंत्रण में रखने में मदद मिली है। आर्थिक समीक्षा में, हालांकि, इस ओर संकेत किया गया है कि वर्ष की दूसरी छमाही में कुछ आवश्यक खाद्य पदाथोंü की कीमतों में दर्ज की गई वृद्धि से ऎसा आभास होता है कि हमें निकट भविष्य में भी आपूर्ति प्रबंधन को बेहद समझदारी के साथ जारी रखना होगा।