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चार लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन होगा रद्द! नहीं भरा आयकर रिटर्न

Source : business.khaskhabar.com | Apr 18, 2017 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 4 lakh companies face deregistration for not filing it returns 200628नई दिल्ली। देश में पंजीकृत कुल 11 लाख सक्रिय भारतीय कंपनियों में एक तिहाई से भी ज्यादा पर रजिस्ट्रेशन रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है। ये कंपनियां तीन साल के रिटन्र्स फाइल करने में नाकामयाब रही हैं। ऐसे में अब इन पर फर्जी कंपनियों पर प्रहार के तहत कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पिछले महीने से ही ऐसी चार लाख से ज्यादा कंपनियों को नोटिस भेजे जा रहे हैं जिन्होंने कंपनियों के रजिस्ट्री ऑफिस में वित्त वर्ष 2013-14 और वित्त वर्ष 2014-15 में रिटन्र्स फाइल नहीं किए। टाइम्स इंडिया की खबर के मुताबिक, इन कंपनियों ने वित्त वर्ष 2015-16 के भी रिटन्र्स फाइल नहीं किए, हालांकि अभी रिटन्र्स फाइल की मियाद बची है।
आईटी को जवाब नहीं देने वालों के खिलाफ कार्रवाई तय
कंपनियों को रिटन्र्स फाइल करने के लिए 30 दिन की मोहलत दी गई है। इसमें नाकामयाब रहने पर सरकार इनका नाम छीन सकती है। कंपनी मामलों का मंत्रालय ऐसी कंपनियों के नाम सार्वजनिक करेगा और इनके एवं इनके डायरेक्टरों की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, बैंकों और रिजर्व बैंक को देगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये कंपनियां कोई लेन-देन नहीं कर सकें।
हालांकि, कंपनी कानून में कंपनियों को ‘निष्क्रिय’ अवस्था में होने का कानूनी अधिकार मिला हुआ है, लेकिन बहुत कंपनियां इसका इस्तेमाल करती हैं। मार्च 2015 के आखिर तक कुल 14.6 लाख कंपनियां थीं, लेकिन सिर्फ 10.2 लाख को ही सक्रिय माना जा रहा था जबकि महज 214 कंपनियों ने खुद को ‘निष्क्रिय’ घोषित कर रखा था। सूत्रों ने बताया कि नाम छीने जाने की धमकी मात्र से ही कई कंपनियां रिटन्र्स फाइल करने लगीं। कंपनी मामलों के मंत्रालय के इस कदम को उचित बताते हुए सूत्रों ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि इन कंपनियों का कोई कारोबार है भी या ये सिर्फ कागजी कंपनियां हैं। सबसे पहले हमें उनकी स्थिति जानने की जरूरत है।’ अगले चरण में सरकार उन कंपनियों की पहचान करेगी जिनका टर्नओवर कम है, लेकिन उन्होंने भारी-भरकम प्रीमियम पर शेयर जारी कर दिए या जिनके पास भारी मात्रा में रिजर्वस हैं। ये कंपनियां फर्जी जान पड़ती हैं जिसमें एंट्री ऑपरेटर्स शेयर जारी करने के लिए कैश लेते हैं और फंड को कई कंपनियों के जरिए इसकी खपत कर देते हैं ताकि काले धन को सफेद किया जा सके।
पहचान में आई कंपनियों की जानकारी सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) को दी जाएगी जो इनकी छानबीन करेगी। फिर टैक्स डिपार्टमेंट और ईडी आगे की कार्रवाई करेंगे। तथाकथित शेल कंपनियों पर सरकार काफी पैनी नजर रख रही है। कई शेल कंपनियों ने नोटबंदी के दौरान नोट जमा करवाए। सरकार ने एक रोडमैप तैयार करने के लिए कार्यबल का गठन किया है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि ये कंपनियां टैक्स चोरी और धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) की वाहक के तौर पर काम नहीं कर सकें।

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