सेफ्टी फेल, बिक्री बेमिसाल: क्रैश टेस्ट में फेल इन कारों की लाखों में सेल, आखिर कब जागेगा भारतीय ग्राहक?
Source : business.khaskhabar.com | July 11, 2025 | 
नई दिल्ली। भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में सुरक्षा एक बड़ा कारक बन चुका है, और ग्राहक अब कार खरीदते समय क्रैश टेस्ट रेटिंग्स को गंभीरता से ले रहे हैं। लेकिन एक चौंकाने वाली हकीकत यह है कि भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP) और ग्लोबल NCAP जैसी एजेंसियों द्वारा खराब रेटिंग दी गई कुछ कारें आज भी बाजार में धड़ल्ले से बिक रही हैं।
यह स्थिति इस बात का संकेत है कि कीमत और फीचर्स का आकर्षण सुरक्षा की बुनियादी जरूरत पर भारी पड़ रहा है। आइए, ऑटोमोबाइल के नजरिए से समझते हैं कि किन कारों की क्रैश टेस्ट में पोल खुली है, फिर भी वे बेमिसाल बिक्री दर्ज कर रही हैं।
इस लिस्ट में सबसे ऊपर नाम है भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली और सबसे सस्ती कारों में शुमार
मारुति सुजुकी ऑल्टो K10 का। यह कार एडल्ट सेफ्टी में सिर्फ 2 स्टार और चाइल्ड सेफ्टी में 0 स्टार लेकर आती है। यह रेटिंग स्पष्ट बताती है कि यह अपने यात्रियों को केवल आंशिक सुरक्षा दे सकती है और बच्चों के लिए तो यह किसी खतरे की घंटी से कम नहीं। इसके बावजूद, अपने किफायती 1.0-लीटर पेट्रोल इंजन और एएमटी ऑप्शन के साथ यह ग्राहकों की पहली पसंद बनी हुई है।
इस लिस्ट में केवल पेट्रोल गाड़ियां ही नहीं, बल्कि एक इलेक्ट्रिक कार भी है। फ्रांसीसी वाहन निर्माता
सिट्रोएन की इलेक्ट्रिक हैचबैक e-C3 क्रैश टेस्ट में एडल्ट सेफ्टी में 0 स्टार और चाइल्ड सेफ्टी में 1 स्टार के साथ बुरी तरह फेल हो गई। क्रैश टेस्ट में सामने बैठे यात्रियों की छाती को गंभीर चोट लगने की संभावना जताई गई थी। अपनी 320 किलोमीटर की रेंज का दावा करने वाली यह इलेक्ट्रिक कार थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट और चाइल्ड सीट एयरबैग डीएक्टिवेशन जैसे बुनियादी सुरक्षा फीचर्स से वंचित है।
मारुति सुजुकी की एक और स्टाइलिश हैचबैक,
इग्निस, भी सेफ्टी के मामले में निराश करती है। अपने ऊंचे स्टांस और आकर्षक लुक के लिए मशहूर इस कार को एडल्ट सेफ्टी में 1 स्टार और चाइल्ड सेफ्टी में 0 स्टार मिले हैं। इसी तरह, हुंडई की प्रीमियम हैचबैक ग्रैंड i10 निओस भी 2 स्टार की मामूली रेटिंग तक ही सीमित है। यह कार अपनी बेहतरीन राइड क्वालिटी और फीचर्स के लिए तो जानी जाती है, लेकिन सुरक्षा के मोर्चे पर यह केवल औसत प्रदर्शन करती है।
इस लिस्ट में आखिरी नाम मिनी एसयूवी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली मारुति सुजुकी
एस-प्रेसो का है, जिसे एडल्ट के लिए 1 स्टार और चाइल्ड सेफ्टी के लिए 0 स्टार मिले। ग्लोबल NCAP के मुताबिक, दुर्घटना की स्थिति में सामने बैठे यात्रियों के सिर और गर्दन को सीमित सुरक्षा ही मिलती है।
ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों का मानना है कि इन कारों की बिक्री भले ही लाखों में हो रही हो, लेकिन ग्राहकों को यह समझना होगा कि गाड़ी की संरचनात्मक मजबूती सबसे महत्वपूर्ण है। केवल फीचर्स, माइलेज या लुक्स के आधार पर किया गया कोई भी निर्णय उनके परिवार की सुरक्षा को जोखिम में डाल सकता है।
BNCAP जैसी एजेंसियां भारत में अब सक्रिय हैं, और ग्राहकों को भी जागरूक व जिम्मेदार बनकर ही खरीदारी करनी चाहिए। यह समय की मांग है कि हम एक सुरक्षित कार को केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता मानें।
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