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जून के पहले सप्ताह में आएगी नई बंगाल तिल्ली, बिनौला खल स्थिर

Source : business.khaskhabar.com | Apr 19, 2024 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 new bengal spleen will arrive in the first week of june cottonseed cake is stable 632939
वायदा बाजार में 10 फीसदी मार्जिन जमा करके पूरा माल खरीदा जा सकता है 

जयपुर (रामबाबू सिंघल)। पश्चिमी बंगाल में लाल तिल्ली (बंगाल तिल्ली) की बिजाई हो चुकी है। इस बार लाल तिल्ली की बिजाई अपेक्षाकृत बेहतर बताई जा रही है। बंगाल में जून के पहले सप्ताह में नई लाल तिल्ली की आवक शुरु होने की संभावना है। 
इधर, बिनौला खल के भावों में पिछले दो सप्ताह से कोई उल्लेखनीय फेरबदल नहीं हुआ है। जयपुर मंडी में शुक्रवार को बिनौला खल 3175 से 3400 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिरता लिए हुए थी। बता दें गुजरात, महाराष्ट्र एवं हरियाणा की मुख्य फसल कपास है। मगर वहां पर नकली खल की बिक्री होने की खबरों से भविष्य में बिनौला खल का उत्पादन घट सकता है। ऐसी चर्चा व्यापारिक क्षेत्रों में की जा रही है। हालांकि पहले केन्द्र सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया था कि कपास को एमएसपी से नीचे नहीं बिकने देंगे। इसके अलावा पांच साल की गारंटी भी दी जाएगी। 
कपास यदि समर्थन मूल्य से नीचे आएगी तो सरकार खरीदेगी। मगर ऐसा दिख नहीं रहा है। बिनौला को प्रोसेसिंग करने पर 60 फीसदी खल निकलती है, जो पशु आहार के काम आती है। देश में करीब 80 प्रतिशत दुधारू पशु बिनौला खल ही खाते हैं। 
जानकारों का कहना है कि वायदा कारोबार एवं अन्य जगहों पर बिनौला खल का प्रचुर मात्रा में स्टॉक पड़ा हुआ है। जिसमें नकली तथा असली की पहचान मुश्किल हो गई है। इसलिए सरकार को पशुओं को खाने वाली बिनौला खल पर सख्ती करनी चाहिए। यह भी चर्चा है कि केमिकल आदि अन्य रसायनों का इस्तेमाल करके बोरियों में बिनौला खल भर दी जाती है। जो कि पशुओं के लिए बेहद हानिकारक होती है। 
कुछ हाथों में सिमटा वायदा संचालनः 
वायदा बाजार में 10 फीसदी मार्जिन जमा करके पूरा माल खरीदा जा सकता है। जैसे ही उसकी रकम पूरी होती है, तो संचालक कहता है कि रुपए जमा करिए, नहीं तो उनके सौदे काट दिए जाते हैं। इस अनिश्चितता के माहौल में हाजिर का व्यापार जो मंडियों में तेजी-मंदी के लिए एवं मिलिंग के लिए चलता था, वह सिमट कर 10 प्रतिशत रह गया है। तथा 90 फीसदी डिब्बा बाजार पर ही तेजी मंदी आने लगी है। अत: सरकार को वायदा बाजार पर सख्ती करने की की जरूरत है।

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