आटा मिलों को नहीं मिल रहा मिलिंग के अनुरूप गेहूं
Source : business.khaskhabar.com | Jan 09, 2025 |
-एक सप्ताह के दौरान 200 रुपए उछलकर 3225 रुपए प्रति क्विंटल पहुंचा
रामबाबू सिंघल
जयपुर। आटा मिलों को मिलिंग के अनुरूप् एफसीआई का गेहूं नहीं मिलने से एक सप्ताह के दौरान गेहूं लगभग 200 रुपए प्रति क्विंटल और उछल गया है। जयपुर मंडी में गुरुवार को मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं नैट के भाव 3225 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गए हैं। पिछले साल इन्हीं दिनों गेहूं के भावों से वर्तमान की तुलना करें तो गेहूं गत वर्ष की अपेक्षा करीब 800 रुपए प्रति क्विंटल महंगा हुआ है। लक्ष्मीभोग आटा, मैदा, सूजी एवं बेसन के निर्माता नरेश चौपड़ा कहते हैं कि अगले होने वाले टैंडरों में सरकार गेहूं की क्वांटिटी नहीं बढ़ाती है तो गेहूं तुरंत ही 100 रुपए प्रति क्विंटल और उछल सकता है। हालांकि इस बार गेहूं की बिजाई अधिक होने की खबरें आने लगी हैं। मगर गेहूं की नई फसल आने में अभी तीन माह का समय बाकी है। लिहाजा गेहूं की आपूर्ति केन्द्रीय पूल पर निर्भर करेगी। चौपड़ा ने बताया कि नई फसल आने से पहले मंडियों में गेहूं की भारी कमी हो जाने से पूरी तरह से शॉर्टेज की स्थिति बन गई है।
गत वर्ष के मुकाबले 800 रुपए तेज बिक रहा गेहूंज्ञात हो सरकार द्वारा तीन महीने पहले गेहूं की बिक्री खुले बाजार में करने से मना कर दिया गया था, परिणामस्वरूप बीते नवंबर में गेहूं में जोरदार तेजी आ गई थी। तत्पश्चात महंगाई को देखते हुए नवंबर के अंतिम सप्ताह से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री शुरू कर दी गई। मगर उसमें भी कमी यह रही कि रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों को क्षमता के अनुरूप गेहूं टैंडरों में नहीं दिया गया, जिसके चलते एक सप्ताह के अंतराल में ही गेहूं 200 रुपए की छलांग लगाकर 3225 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया है। पिछले वर्ष 2024 में 6 जनवरी को गेहूं के भाव 2500 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास थे, जो कि वर्तमान में करीब 800 रुपए प्रति क्विंटल ऊंचे चल रहे हैं। आटा, मैदा एवं सूजी में भी जोरदार तेजी दर्ज की जा रही है। पिछले माह केन्द्र सरकार ने दिल्ली में 5500 टन गेहूं देने की बजाए 3500 टन साप्ताहिक टेंडर कर दिया गया, जिससे चारों ओर हाहाकार की स्थिति बन गई है।
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