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आरबीआई की दर कटौती विनिर्माण में तेजी के लिए नाकाफी

Source : business.khaskhabar.com | Apr 05, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 RBI rate cut inadiquate for growth of manufacture sectorनई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की आगामी मंगलवार यानी सात अप्रैल को आने वाली आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा से पहले फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा है कि अगली समीक्षा में दर में की जाने वाली कटौती विनिर्माण क्षेत्र में निवेश बढाने के लिए काफी नहीं होगी क्योंकि मांग की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वैसे आम धारणा यह है कि भारतीय रिजर्व बैक मंगलवार सात अप्रैल को की जाने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य नीतिगत दरों को पुराने स्तर पर छोड दिया जाएगा। फिक्की के ताजा तिमाही सर्वेक्षण के मुताबिक, 69 फीसदी जवाब देने वालों ने कहा है कि रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में की जाने वाली कटौती से उन्हें अपने संगठन द्वारा निवेश में वृद्धि किए जाने की उम्मीद नहीं है। बता दें, रेपो दर वह दर है जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से छोटी अवधि के लिए कर्ज लेते हैं। फिक्की ने अपने एक बयान में कहा,ब्याज दर के ऊपरी स्तर पर बने रहने की उम्मीद नहीं है। कम से कम 58 फीसदी कारोबारी अधिकारियों ने बताया कि उन्हें 12 फीसदी से अधिक की औसत ब्याज दर पर कर्ज मिलने की उम्मीद नहीं है। बयान के मुताबिक 73 फीसदी अधिकारियों ने बताया कि अगले छह महीने में उनकी क्षमता विस्तार की कोई योजना नहीं है। भूमि की उपलब्धता, नियामकीय मंजूरियों में देरी, मांग में कमी और ब्याज की ऊंची दर कुछ ऎसी बाधाएं हैं, जो विस्तार योजना को कुंद करते हैं। सर्वेक्षण में 13 विनिर्माण क्षेत्रों के परिदृश्य का जायजा लिया गया है। ये क्षेत्र हैं कपडा, पूंजीगत वस्तु, धातु, रसायन, सीमेंट एवं सिरामिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन कल-पुर्जे, चमडे एवं फुटवियर, मशीन टूल्स, खाद्य एवं तेज खपत उपभोक्ता वस्तु, टायर, कागज तथा कपडा मशीनें। फिक्की ने कहा,सर्वेक्षण में 272 विनिर्माण इकाइयां शामिल की गईं। ये बडे आकार की और लघु एवं मध्यम उपRम श्रेणियों की थीं और इनकी कुल सालाना आय चार लाख करोड रूपये है। जियोजीत बीएनपी पारिबास फायनेंशियल सर्विसिस के फंडामेंटल रिसर्च खंड के प्रमुख विनोद नैयर ने मुंबई से फोन पर आईएएनएस से कहा,इस बार दर कटौती की उम्मीद नहीं। अगले एक-दो महीने में भी नहीं। उन्होंने कहा,इस बार यह कठिन होगा क्योंकि उपभोक्ता महंगाई दर बढ़ रही है। रिजर्व बैंक पिछली तिमाही में तनाव ग्रस्त ऋण के सरलीकरण पर भी ध्यान देगा। नैयर ने कहा कि आरबीआई जून में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढाए जाने की स्थिति में पडने वाले प्रभाव पर भी गौर करना चाहता है, हालांकि जून में फेड की ब्याज दर बढने की उम्मीद कम ही है।