मेगा स्पैक्ट्रम नीलामी को मोदी कैबिनेट की हरी झंडी
Source : business.khaskhabar.com | Jun 22, 2016 | 

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बड़े पैमाने पर स्पेक्ट्रम
नीलामी योजना को मंजूरी दे दी। इससे सरकारी खजाने में 5.66 लाख करोड़ रुपये
आने की उम्मीद है। एक आधिकारिक सूत्र ने यह जानकारी दी।
सरकार को 2300
मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम नीलामी से कम से कम 64,000 करोड़ रुपये मिलने की
उम्मीद है। इसके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में विभिन्न शुल्कों तथा सेवाओं से
98,995 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। सूत्रों ने बताया कि नीलामी के लिये
मुख्य दस्तावेज, आवेदन आमंत्रित करने का नोटिस संभवत: एक जुलाई को जारी
किया जाएगा। इसके बाद 6 जुलाई को बोली पूर्व सम्मेलन होगा। बोलियां एक
सितंबर से लगनी शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि, योजना की आधिकारिक तौर पर
पुष्टि नहीं हुई है।
अंतर मंत्रालयी समिति द्वारा मंजूर नियमों के तहत
नीलामी में 700 मेगाहट्र्ज का प्रीमियम बैंड भी शामिल रहेगा। इस बैंड के
लिए आरक्षित मूल्य 11,485 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज रखा गया है। इस
बैंड में सेवा प्रदान करने की लागत अनुमानत: 2100 मेगाहट्र्ज बैंड की तुलना
में 70 प्रतिशत कम है, जिसका इस्तेमाल 3जी सेवाएं प्रदान करने के लिए किया
जाता है।
यदि कोई कंपनी 700 मेगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदने की
इच्छुक है, तो उसे अखिल भारतीय स्तर पर 5 मेगाहट्र्ज के ब्लॉक के लिए कम से
कम 57,425 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इस बैंड में अकेले 4 लाख करोड़
रुपये की बोलियां आकर्षित करने की क्षमता है। इस स्पेक्ट्रम बिक्री से 5.66
लाख करोड़ रुपये का संभावित राजस्व हासिल होने की उम्मीद है, जो दूरसंचार
उद्योग के 2014-15 के 2.54 लाख करोड़ रुपये के सकल राजस्व के दोगुना से भी
अधिक होगा।
प्रमुख आपरेटरों ने 700 मेगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम
नीलामी टालने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि इस बैंड में सेवाएं प्रदान
करने का पारिस्थितिकी तंत्र अभी विकसित नहीं हुआ है जिससे कई साल तक
स्पेक्ट्रम का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाएगा और उद्योग का पैसा फंसा रहेगा।
इसके अलावा समिति ने कुछ सख्त भुगतान शर्तों का भी सुझाव दिया है। हालांकि,
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने भुगतान के लिए उदार नियमों
का सुझाव दिया था।
समिति का सुझाव है कि उंचे फ्रीक्वेंसी बैंड एक
जीएचजेड से अधिक मसलन 1800 मेगाहट्र्ज, 2100 मेगाहट्र्ज तथा 2300
मेगाहट्र्ज में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियां 50 प्रतिशत का अग्रिम
भुगतान करें और दो साल के स्थगन के बाद शेष राशि की अदायगी 10 साल में
करें। पूर्व की नीलामियों में कंपनियों को 33 प्रतिशत अग्रिम भुगतान का
विकल्प दिया गया था।
इसी तरह एक जीएचजेड से कम स्पेक्ट्रम मसलन 700
मेगाहट्र्ज, 800 मेगाहट्र्ज तथा 900 मेगाहट्र्ज में कंपनियां 25 प्रतिशत
राशि का अग्रिम भुगतान करें। उसके बाद दो साल की रोक के बाद शेष राशि का
भुगतान 10 साल में करें। यह पूर्व की नीलामियों की तर्ज पर ही है, लेकिन
ट्राई के सुझावों से भिन्न है।