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एजेंटों के जरिए न हो रक्षा सौदा : अनिल अंबानी

Source : business.khaskhabar.com | Mar 30, 2016 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 avoid defence purchases through agents anil ambani 24931पणजी। रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने मंगलवार को कहा कि एजेंटों के जरिए रक्षा सौदों के वर्तमान चलन को अपवाद बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि दो देशों या सेनाओं के बीच रक्षा सौदों में निजी क्षेत्रों के लिए स्पष्टता होनी चाहिए।

रक्षा प्रदर्शनी-2016 में एसोचेम की ओर से आयोजित वैश्विक निवेशक सम्मेलन को संबोधित करते हुए अंबानी ने कहा, ‘‘जहां रक्षा सौदों में मनोयन अपरिहार्य है वहां निजी क्षेत्र के लिए दिशानिर्देश स्पष्ट होना चाहिए ताकि निजा क्षेत्र भावी अवसरों को सही ढंग से देख सके।’’

उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को जोड़े बिना विश्वसनीय रक्षा नीति नहीं बनाई जा सकती है।

अंबानी की कंपनी ने हाल में रक्षा कंपनी पिपाव का दो माह पहले अधिग्रहण किया है जो सैन्य हार्डवेयर बनाने वाली बड़ी कंपनी है।

अंबानी ने कहा कि आईजीए/एफएमएस के तहत हुए रक्षा समझौतों में अक्सर निजी क्षेत्र की भूमिका अस्पष्ट रहती है, इसलिए सरकार को यह बताना चाहिए कि इस मामले में निजी क्षेत्र कहां खड़ा है।

उन्होंने कहा कि सामिरक साझेदारों के लिए जो क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं, उसमें स्थल, वायु और जल रक्षा सामग्री की खरीद के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।

अंबानी ने कहा कि खुली नीति से इस क्षेत्र में पहले से बने हुए लोगों का एकाधिकार खत्म होगा और नए खिलाडिय़ों को प्रवेश मिलेगा। साथ ही प्रतियोगता भी बढ़ेगी। इससे देश को फायदा होगा। लेकिन उन्होंने खेद जताया कि नए खिलाडिय़ों के लिए नए ठेके के कम अवसर हैं।

उन्होंने कहा कि हाल में सरकार ने दो लाख करोड़ रुपये के रक्षा सौदों के प्रस्तावों को हरी झंडी दी है, लेकिन इनमें अधिकांश या तो आदेश की पुनरावृत्ति है या सेना के लिए तुरंत जरूरी है या मनोनयन के आधार ठेका दिया गया है या फिर अंतर सरकारी समझौतों/विदेशी सैन्य बिक्री (आईजीए/एफएमएस) के तहत जुटाने का निर्णय किया गया है।

उन्होंने केवल सार्वजनिक क्षेत्र की  कंपनियों को ही रक्षा क्षेत्र का ठेका देने की मन:स्थिति बदलने पर भी जोर दिया और निजी कंपनियों को भी अवसर देने और ठेके की शर्तों में बदलाव की वकालत की।

उन्होंने हिन्दुस्तान शिपयार्ड का उदाहरण दिया, जिसके पास 1.5 लाख करोड़ का ठेका 15 वर्षों में पूरा करने के लिए मिला हुला हुआ है, लेकिन सिर्फ छह हजार करोड़ का ही उत्पाद बनाकर प्रतिवर्ष देता है। ऐसे में उसे ठेका पूरा करने में 20 से भी अधिक साल लग जाएंगे, जबकि जलसेना की तीन लाख करोड़ रुपये की योजना विचाराधीन है। (IANS)