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हिंदुस्तान जिंक की तकनीकी क्रांति: खदानों से लेकर उत्पादन तक AI और रोबोटिक्स का जलवा!

Source : business.khaskhabar.com | May 09, 2025 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 technical revolution of hindustan zinc ai and robotics from mines to production! 720933उदयपुर। नेशनल टेक्नोलॉजी डे पर हिंदुस्तान जिंक ने दिखाया है कि वो सिर्फ जिंक की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी ही नहीं, बल्कि तकनीक के मामले में भी सबसे आगे है। कंपनी ने खदानों में काम करने के तरीके से लेकर उत्पादन की रफ्तार और सुरक्षा तक, हर जगह नई तकनीकों को अपनाकर एक नया बेंचमार्क स्थापित किया है। 
हिंदुस्तान जिंक अब भूमिगत खदानों में टेली-रिमोट से चलने वाले लोडर का इस्तेमाल करने वाली भारत की पहली मेटल कंपनी बन गई है। इसका मतलब है कि अब सतह पर बैठे ऑपरेटर खदानों के अंदर काम कर रहे लोडर को शिफ्ट बदलने के दौरान भी कंट्रोल कर सकते हैं। यह कमाल कंपनी के अपने ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की वजह से मुमकिन हो पाया है। 
इस नई तकनीक से राजस्थान के रामपुरा आगुचा खदान में उत्पादन जबरदस्त तरीके से बढ़ा है, जहां अब हर दिन 6,500 टन की जगह 8,000 टन अयस्क निकाला जा रहा है। इतना ही नहीं, हिंदुस्तान जिंक ने स्मोक-ऑवर्स ड्रिलिंग नाम की एक और धांसू ऑटोमैटिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है। यह तकनीक अपनाने वाली भी यह पहली भारतीय मेटल कंपनी है। इससे फायदा यह है कि शिफ्ट बदलते वक्त भी ड्रिलिंग का काम बिना रुके चलता रहता है, और ऑपरेटर मशीन को ऊपर सतह से ही ऑपरेट करता है। पिछले तीन सालों में इस तकनीक से कंपनी को औसतन हर साल 22 हजार टन ज़्यादा मेटल मिला है। 
यह तकनीक दुनिया की सबसे बड़ी भूमिगत जिंक खदान, रामपुरा आगुचा और दुनिया की टॉप पांच चांदी उत्पादक खदानों में से एक सिंदेसर खुर्द में भी काम कर रही है। स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग की तरफ बढ़ते हुए, कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित एक ऐसा सिस्टम लगाया है जो मशीनों की देखभाल का पहले से ही अंदाजा लगा लेता है। यह सिस्टम सेंसर की मदद से काम करता है और इसे एक नई स्टार्टअप कंपनी, इनफिनिट अपटाइम के साथ मिलकर बनाया गया है। 
हिंदुस्तान जिंक ने अपनी खदानों और स्मेल्टर्स में 1000 से ज़्यादा स्मार्ट सेंसर लगाए हैं, जिससे मशीनों के खराब होने का खतरा काफी कम हो गया है और बिना प्लान किए मशीनों के बंद रहने का समय लगभग 500 घंटे तक घट गया है। जिंक के उत्पादन को और भी बेहतर बनाने के लिए कंपनी ने AI पर आधारित एक ऑटोमेशन टूल भी लगाया है। यह टूल पुराने डेटा के आधार पर काम करता है और जिंक डस्ट, सोडियम सल्फेट, चूना और सीमेंट जैसे कच्चे माल का इस्तेमाल कैसे बेहतर किया जाए, इसके लिए AI और मशीन लर्निंग (ML) से सुझाव देता है, जिससे अच्छी क्वालिटी भी बनी रहती है। 
इस मौके पर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के सीईओ अरुण मिश्रा ने कहा कि तकनीक उनकी कंपनी के काम करने के तरीके का सबसे जरूरी हिस्सा है। वे हमेशा ऐसी नई तकनीकों को अपनाने की कोशिश करते हैं जो उत्पादन को बेहतर बनाएं और कम संसाधनों में अच्छी क्वालिटी का माल तैयार करने में मदद करें। उन्होंने यह भी कहा कि इन तकनीकों से पर्यावरण पर भी कम असर पड़ता है और सभी के लिए काम करने का अच्छा माहौल बनता है। 
मिश्रा ने कहा कि उनकी कंपनी तेज़ी से एक टेक्नोलॉजी कंपनी बनती जा रही है, क्योंकि अब मेटल का उत्पादन भी तकनीक के बिना मुमकिन नहीं है। AI, ML, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन को तेज़ी से अपनाकर वे उद्योग और देश दोनों को आगे बढ़ा रहे हैं। हिंदुस्तान जिंक अब अपने कामकाज में रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और इंडस्ट्रियल इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रही है। हाल ही में कंपनी ने AI पर आधारित एक ऐसा कैमरा सिस्टम लगाने का ऐलान किया है जो कार्यस्थल की सुरक्षा, काम की रफ्तार और नियमों का पालन सुनिश्चित करेगा, जिससे इंसानों के दखल की ज़रूरत लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। 
इसके अलावा, कंपनी ने स्मेल्टर्स में ज़्यादा तापमान पर काम करने के लिए रोबोटिक ऑटोमेशन का इस्तेमाल किया है, जिससे काम में सटीकता आई है, धातुकर्म का काम आसान हुआ है और प्रोडक्ट की क्वालिटी भी बनी रहती है। कंपनी अब भूमिगत खदानों की मैपिंग को और भी सटीक बनाने और अयस्क निकालने की योजना को बेहतर करने के लिए LiDAR से लैस ड्रोन का इस्तेमाल करने की तैयारी में है। 
वेदांता स्पार्क, जो वेदांता का एक खास प्रोग्राम है, नई तकनीकों के इस्तेमाल से कंपनी की बड़ी व्यावसायिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए स्टार्टअप के साथ मिलकर काम करता है। इसके तहत हिंदुस्तान जिंक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, कंप्यूटर विजन, ड्रोन टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों के इस्तेमाल से विकास की बड़ी संभावनाओं को तलाशा है। 
हिंदुस्तान जिंक नई तकनीकों का इस्तेमाल करने में हमेशा आगे रहता है और 'इनोवेशन कैफे' के जरिए कंपनी के अंदर स्टार्टअप जैसी सोच को बढ़ावा देता है। इससे कंपनी को अपनी श्रेणी में सबसे अच्छा काम करने और बेहतर नतीजे हासिल करने में मदद मिलती है। पिछले कुछ सालों में कंपनी ने सप्लाई चेन, खदानों के विकास और उत्पादन जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में अपने व्यापारिक साझेदारों और सप्लायर नेटवर्क से जुड़े कई छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों (MSMEs) का भी सहयोग किया है। 
वेदांता समूह की कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक और वैश्विक स्तर पर टॉप 5 चांदी उत्पादकों में से एक है। कंपनी 40 से ज़्यादा देशों को अपना माल बेचती है और भारत के प्राथमिक जिंक बाजार में लगभग 77 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है। हिंदुस्तान जिंक को लगातार दूसरे साल एसएंडपी ग्लोबल कॉरपोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट 2024 द्वारा मेटल और माइनिंग की श्रेणी में दुनिया की सबसे टिकाऊ कंपनी के तौर पर पहचान मिली है।

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