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किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करना कठिन लक्ष्य

Source : business.khaskhabar.com | Mar 31, 2016 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 tought to double farmers income till 2022 says arun jaitley 25305महंगाई को समायोजित करने के बाद देश के किसानों की आय 2003 से 2013 के बीच एक दशक में सालाना पांच फीसदी की दर से बढ़ी। इसे देखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगले पांच साल में किसानों की आय दोगुनी करने की घोषणा पर संदेह होता है।

कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट्स एंड प्राइसेज के पूर्व अध्यक्ष और इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक्स रिलेशंस के प्रोफेसर अशोक गुलाटी ने समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस में लिखे गए एक आलेख में लिखा है कि पांच साल में आय दूनी करने का मतलब है कि हर साल आय में 12 फीसदी वृद्धि होनी चाहिए।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन की सिचुएशनल एसेसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल हाउसहोल्ड्स रिपोर्ट के मुताबिक खेती और पुशपालन से किसानों की औसत मासिक आय 2003 में 1,060 रुपये थी, जो 2013 में बढक़र 3,844 रुपये हो गई, जो सालाना 13.7 फीसदी की चक्रवृद्धि दर है।

एक विश£ेषण के मुताबिक यदि महंगाई के असर को ध्यान में रखे बिना पांच साल में किसानों की आय दूनी करनी हो, तो सालाना 15 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से आय बढ़ानी होगी। इसलिए सरकार को किसानों की आय 13.7 फीसदी की जगह 15 फीसदी की दर से वृद्धि को सुनिश्चित करना होगा।

इसमें हालांकि कई बाधाएं हैं : बीज, ऊर्वरक जैसी कई सामग्रियों की कीमत में वृद्धि, न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रसार में कम रहना, गोदाम और शीत भंडारण जैसी अवसंरचना सुविधाओं की कमी और 85 फीसदी किसानों का बीमा सुरक्षा के दायरे में नहीं होना।

15 फीसदी की वृद्धि दर के बाद भी यदि महंगाई के असर को ध्यान में रखा जाए, तो 2022 में किसानों की आय 2016 जितनी ही होगी।

2003 की तुलना में कृषि आय में यद्यपि 3.6 गुने की वृद्धि हुई, लेकिन इसी बीच लागत भी तीन गुना बढ़ी।

जहां तक न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात है, तो एक अनुमान के मुताबिक 25 फीसदी किसानों को ही इसकी जानकारी होती है। कुल फसलों में तो पांच फीसदी किसान ही इसके बारे में जानते हैं।

नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक नियामकीय बाधाओं के कारण कृषि बाजार में निवेश नहीं हो पा रहा है और इसके कारण किसान घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक नहीं हो पा रहे हैं। कृषि उपज और विपणन कमेटी के तहत अलग-अलग राज्यों के कई करों के कारण किसानों को कम बिचौलियों को अधिक लाभ हो रहा है।

2014-15 में सरकार द्वारा घोषित फसल बीमा योजना से सिर्फ 15 फीसदी किसानों को ही लाभ मिला है। सरकार ने यद्यपि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मौजूदा बीमा योजनाओं को मिला दिया है और किसानों के लिए प्रीमियम का बोझ घटा दिया है और बीमा पर सरकारी सब्सिडी की सीमा हटा दी है।

अशोक गुलाटी ने अपने शोध पत्र में लिखा है, ‘‘चीन ने 1978 में कृषि क्षेत्र में सुधार शुरू किया और 1978 से 87 के बीच कृषि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) सालाना सात फीसदी की दर से बढ़ी, जबकि कीमतों को नियंत्रणमुक्त करने से किसानों की आय इस दौरान सालाना 14 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ी। इसके कारण सिर्फ छह साल में गरीबी आधी घट गई।’’

भारत में कृषि जीडीपी वृद्धि दर 2015-16 में सिर्फ एक फीसदी (अग्रिम अनुमान) रही है, इसलिए सरकार के लिए किसानों की आय हर साल 14 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ा पाना एक दुसाध्य काम होगा।

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। ये लेखक के निजी विचार हैं)
(आईएएनएस)