आरबीआई ने रेपो रेट 6 फीसदी पर बरकरार रखा
Source : business.khaskhabar.com | Feb 08, 2018 | 

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट को छह फीसदी पर यथावत रखा है।
आरबीआई ने लगातार तीसरी बार अल्पावधि की ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। इस बार आरबीआई ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा व अन्य घरेलू कारणों से महंगाई बढऩे की आशंकाओं से ब्याज दर को यथावत रखा है।
पिछले हफ्ते केंद्र सरकार की ओर से आम बजट 2018-19 पेश किए जाने के बाद अपनी पहली मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए आरबीआई ने कहा कि औसत महंगाई दर को चार फीसदी रखने के लक्ष्य के मद्देजनर रेपो रेट को यथावत रखने का लिया गया है।
रेपो रेट आरबीआई की प्रमुख ब्याज दर है, जिसपर केंद्रीय बैंक अल्पावधि में वाणिज्यिक बैंकों को ऋण उपलब्ध कराता है।
छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद आरबीआई की ओर से जारी बयान के मुताबिक, रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। इसके अलावा मार्जिनल स्टैङ्क्षडग फैसिलिटी व बैंक रेट 6.25 फीसदी रखा गया है।
आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हम चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में महंगाई दर 5.1 फीसदी रहने की उम्मीद करते हैं, जिसमें केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले एचआरए (मकान किराया भत्ता) का प्रभाव शामिल है। जबकि तीसरी तिमाही में महंगाई दर 4.6 फीसदी थी।’’
खाद्य पदार्थों व ईंधन की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण दिसंबर 2017 में सालाना महंगाई दर बढक़र 5.21 फीसदी हो गई, जबकि नवंबर में यह 4.88 फीसदी थी।
आरबीआई ने महंगाई वृद्धि के लिए विविध कारकों की सूची का उल्लेख किया।
एमपीसी के बयान में कहा गया है कि महंगाई बढऩे का पहला कारक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी है, जैसाकि अगस्त 2017 के बाद कच्चे तेल में तेजी आई है। साथ ही, गैर-तेल औद्योगिक कच्चे माल की कीमतों में वैश्विक स्तर पर इजाफा हुआ है।
दूसरा, चौंकाने वाला प्रभाव एचआरए में बढ़ोतरी का पड़ सकता है। राज्य सरकारों की ओर से एचआरए में इजाफा करने से 2018-19 में महंगाई बढ़ सकती है।
तीसरा कारक, आम बजट 2018-19 में खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रस्तावित बढ़ोतरी है। चौथा, बजट में कई मदों पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया है।
पांचवां, बजट में राजकोषीय घाटा बढऩे से महंगाई बढ़ सकती है। छठा, घरेलू राजकोष में बढ़ोतरी व प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं द्वारा मौद्रिक नीति के सामान्यीकरण से वित्तीय स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे विदेशी निवेशकों का भरोसा कम होगा।
तीन बाहरी सदस्य और गवर्नर समेत एमपीसी के पांच सदस्यों ने फैसले के पक्ष में अपना मत दिया, जबकि कार्यकारी निदेशक माइकेल पात्रा प्रमुख ब्याज दर में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी के पक्ष में थे।
महंगाई को लेकर सावधान रहने की जरूरत बताते हुए आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए पूर्व के सकल मूल्य वर्धित (जीएवी) विकास दर को 6.7 फीसदी से घटा कर 6.6 फीसदी कर दिया। जीवीए में सब्सिडी शामिल होती है, लेकिन कर शामिल नहीं होता है।
पटेल ने बजट 2018-19 में ग्रामीण व बुनियादी ढांचागत क्षेत्र को तवज्जो देने का स्वागत किया और कहा कि इससे ग्रामीण आय व निवेश को सहारा मिलेगा, जिसके फलस्वरूप कुल मांग में बढ़ोतरी होगी।
(आईएएनएस)
[@ जिगर और दिल चाहिए यहाँ जाने के लिए]
[@ पर्स में ना रखें ये 5 चीजें, वरना हो जाओगे कंगाल]
[@ अगर सपने में दिखे ऐसी औरत, तो समझो...]