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"पॉवर ऑफ एटानी" के दुरूपयोग को कम करेगा सेबी!

Source : business.khaskhabar.com | Oct 20, 2014 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 SEBI mulls stronger norms to check misuse of poas by brokersनई दिल्ली। ब्रॉकरों द्वारा निवेशकों के खातों के दुरूपयोग को रोकने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने "पावर ऑफ एटार्नी" के लिए नियमों को कडा करने की योजना बनाई है। ब्रोकर अपने ग्राहक से "पावर ऑफ एटार्नी" (पीओए) लेते हैं। इसमें पावर ऑफ एटार्नी में जुडे जोखिम के आधार पीओए को कलर कोडिंग करना शामिल है। सूत्रों ने बताया कि निवेशकों द्वारा अपने ब्राकरों को दिए गए पीओए को सुरक्षित करने तथा उसके किसी भी प्रकार के दुरूपयोग को रोकने के लिये भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समूह ने कई सुझाव दिए हैं। सेबी ने 2010 में ब्राकरों तथा उनके ग्राहकों से जुडे पीओए के लिए नियमों को कडा किया था। लेकिन निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए मौजूदा नियामकीय माहौल में इसमें बदलाव जरूरी हो गया है।

मौजूदा दिशानिर्देश में पीओए के क्रियान्वयन के संदर्भ में उन कायोंü को परिभाषित किया गया है जो शेयर ब्रोकर कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं। हालांकि ऎसे पीओए के दुरूपयोग के कई मामले आए हैं और ऎसी शिकायतें हैं कि इस प्रकार के समझौतों पर दस्तखत करते समय उन्हें इससे जुडे जोखिम के बारे में जानकारी नहीं देकर निवेशकों को गुमराह किया जा रहा है। इस प्रकार की गडबडियों पर रोक लगाने के लिए विशेषज्ञ समूह ने विभिन्न प्रकार के परिचालन मंजूरी के लिए बहु-प्रकार के पीओए का सुझाव दिया है। साथ ही उससे जुडे जोखिम के आधार पर कलर कोडिंग किए जाने तथा सीमित वैधता अवधि का भी सुझाव दिया है।

फिलहाल सभी प्रकार के कायोंü के लिए एक ही पीओए का प्रावधान है। समूह ने यह भी सुझाव दिया है कि पीओए की वैधता अवधि तीन से छह महीने के लिए नियत की जा सकती है। मौजूदा नियमों के तहत निवेशक कभी भी पीओए को समाप्त कर सकता है लेकिन उसकी वैधता हमेशा के लिए बनी रहती है। वित्त वर्ष 2013-14 में पंजीकृत स्टाक ब्रॉकरों की संख्या 9,411 थी जबकि करीब 52,000 पंजीकृत सब-ब्रोकर थे।