गेहूं में तेजी थमी, 3025 रुपए प्रति क्विंटल बिका मिल डिलीवरी
Source : business.khaskhabar.com | Nov 12, 2024 |
अगर गेहूं और आटा सस्ता करना है तो आयात ही बड़ा विकल्प : विशेषज्ञ - रामबाबू सिंघल की रिपोर्ट -
जयपुर। गेहूं की बढ़ती कीमतों को मामूली ब्रेक लगा है। जयपुर मंडी में मिल डिलीवरी दड़ा गेहूं 25 रुपए नीचे आकर मंगलवार को 3025 रुपए प्रति क्विंटल रह गया है। हालांकि यह बहुत ही मामूली गिरावट है। काफी तेजी के बाद इतना करेक्शन आना स्वाभाविक ही है। सवाल उठता है कि जब सरकार के पास गेहूं का स्टॉक पर्याप्त है, तो गेहूं के भाव आसमान क्यों छू रहे हैं।
कुछ बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि कई व्यापारी और किसान अच्छे दामों की उम्मीद में गेहूं को स्टॉक कर रहे हैं। इस वजह से दाम बढ़ रहे हैं। कुछ बड़े खिलाड़ियों ने गेहूं को स्टॉक किया हुआ है। उन्हें स्टॉक लिमिट से छूट मिली हुई है। ऐसे में अगर गेहूं और आटा सस्ता करना है तो आयात ही बड़ा विकल्प है। कम से कम 50 लाख टन गेहूं का आयात हो तब जाकर बाजार में नरमी आएगी। मगर आयात तब हो पाएगा तब जीरो इम्पोर्ट ड्यूटी कर दी जावे।
ज्ञात हो अभी गेहूं आयात पर 40 प्रतिशत ड्यूटी है। इतनी ड्यूटी के साथ गेहूं लाना बहुत महंगा पड़ेगा। वर्तमान में यदि सरकार जीरो इम्पोर्ट ड्यूटी पर गेहूं आयात करने की अनुमति दे, तो भी रूस से भारत के तूतीकोरिन पोर्ट, तमिलनाडु में गेहूं लाने पर भाड़ा सहित उसका दाम 2700 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास पड़ता है। ऐसे में अगर सरकार को गेहूं का दाम कम करके जनता को सस्ती रोटी खिलानी है तो गेहूं पर लगी 40 फीसदी ड्यूटी को समाप्त करके आयात की अनुमति देनी होगी।
घरेलू बाजार में गेहूं की कितनी खपतः नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में गेहूं की खपत का जिक्र किया है। इसके मुताबिक वर्ष 2021-22 में गेहूं की मांग 971.20 लाख टन थी, जिसे वर्ष 2028-29 में बढ़कर 1070.8 लाख टन होने का अनुमान है। इस हिसाब से वर्ष 2024 में गेहूं की मांग 1001 लाख टन है। दूसरी ओर कृषि मंत्रालय ने दावा किया है कि वर्ष 2023-24 में गेहूं का उत्पादन 1132.92 लाख टन हुआ है। जो पिछले साल से 27.38 लाख टन ज्यादा है। ऐसे में गेहूं संकट जैसी कोई स्थति नहीं है।
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