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अलसी से लिनेन कपड़े बनाने की पतंजलि ने की पहल

Source : business.khaskhabar.com | Dec 26, 2017 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 patanjali initiative to make linen cloth from linseed 281568रायपुर। भारत में आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण के लिए प्रसिद्ध पतंजलि आयुर्वेद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आचार्य बालकृष्ण ने रविवार को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विकसित हर्बल गार्डन का भ्रमण किया। आचार्य बालकृष्ण ने अलसी के पौधे के रेशे से लिनेन कपड़े के निर्माण की औद्योगिक संभावनाओं के संबंध में कपड़ा राज्य मंत्री अजय टमटा से फोन पर चर्चा की और इस दिशा में केन्द्र शासन से आवश्यक सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया।  

कुलपति डॉ. एस. के. पाटील ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अलसी का उत्पादन किया जा रहा है। इस परिपेक्ष्य में लिनेन कपड़े के निर्माण की छत्तीसगढ़ में व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से अलसी सहित अन्य 8 फसलों का मूल्य संवर्धन करने के लिए भाभा अटॉमिक रिसर्च सेन्टर के सहयोग से फूड प्रोडक्ट्स निर्मित करने की तकनीक विकसित की जा चुकी है। उन्होंने आचार्य बालकृष्ण से पतंजलि समूह की ओर से राजनांदगांव जिले में स्थापित किये जाने वाले फूड पार्क में इनका व्यवसायिक उत्पादन करने का अनुरोध किया।  

आचार्य बालकृष्ण ने विश्वविद्यालय की ओर से औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती की सराहना की। उन्होंने पतंजलि समूह की ओर से यहां उत्पादित होने वाले औषधीय और सुगंधित पौधों का क्रय करने की इच्छा जाहिर की और विश्वविद्यालय को इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव भेजने को कहा। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने आचार्य बालकृष्ण को विश्वविद्यालय की ओर से औषधीय और सुगंधित फसलों के उत्पादन और संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।  

आचार्य बालकृष्ण ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में विकसित हर्बल गार्डन में विभिन्न औषधीय और सुगंधित फसलों का अवलोकन किया। उन्होंने यहां सर्पगंधा, अश्वगंधा, गिलोय, केवांच, ऐलोवेरा, लेमन ग्रास, अपराजिता, पचैली, हडजोड सहित लगभग 160 प्रजातियों के औषधीय और सुगंधित फसलों के उत्पादन का निरीक्षण भी किया। साथ ही विश्वविद्यालय की ओर से पान की खेती की ओर किये जा रहे प्रयास की सराहना करते हुए इसके विक्रय में पतंजलि की ओर से सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।  

आचार्य बालकृष्ण ने सर्पगंधा, अश्वगंधा, केवांच, ऐलोवेरा, आंवला, तुलसी के पौधों और बीज क्रय करने की इच्छा जताई। उन्होंने छत्तीसगढ़ में परंपरागत जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए जल्द ही पतंजलि समूह की ओर से ग्रामीण वैद्यों और किसानों का सम्मेलन किए जाने की जानकारी देते हुए कृषि विश्वविद्यालय से इसमें आवश्यक सहयोग देने का अनुरोध किया।  
(आईएएनएस/वीएनएस)

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