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पौष्टिक और विविध खाद्य उत्पादन को दें बढ़ावा : एसोचैम-ईवाई शोध

Source : business.khaskhabar.com | Dec 31, 2017 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 nutritious food should be promoted in ppp mode assocham 282904नई दिल्ली। देश को कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एसोचैम-ईवाई की संयुक्त रिपोर्ट में यह सलाह दी गई है कि भारत को पौष्टिक, विविध और लोचदार खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर दो-आयामी रणनीति बनानी चाहिए।

एसोचैम और वैश्विक पेशेवर सेवा फर्म ईवाई (अर्नेस्ट एंड यंग) के संयुक्त अध्ययन ‘अंतराल को कम करना : सर्वोत्कृष्ट पोषण के लिए कृषि क्षमता का दोहन’ में कहा गया, ‘‘एक दो-आयामी दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जहां मांग पक्ष पर, कंपनियों और सरकारों को एक साथ आकर उपभोक्ता संवेदनशीलता अभियान चलाना चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं के बीच पोषक भोजन को बढ़ावा दिया जा सके, और वहीं दूसरी तरफ विविध और लोचदार खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए ताकि आपूर्ति पक्ष की तरफ उत्पादन की लागत में कटौती हो।’’

रिपोर्ट में कहा गया कि मैक्रोन्यूट्रिएंट और माइक्रोन्यूट्रिएंट की बड़े पैमाने पर पूरी नहीं हुई जरूरत को देखते हुए भारत को नीतिगत और अभ्यास स्तर पर सुधार करने की जरूरत है, जो यह लोगों को कम कीमत पर पौष्टिक भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करे।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘पौष्टिकता और कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों को मजबूत करना होगा, जिसमें खेत में कृषि का विविधीकरण, खाद्य उत्पादन, खाद्य सुदृढ़ीकरण, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला मजबूत करना, पौष्टिक भोजन उगाने के लिए स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना और किचन गार्डन को बढ़ावा देना शामिल है।’’

एसोचैम-ईवाई के अध्ययन में यह भी कहा गया कि संतुलित और विविध आहार के महत्व को लेकर समुदाय के बीच जागरूकता फैलाना, और उन्हें सशक्त बनाना, विशेष रूप से महिलाओं को सशक्त बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि वे स्वयं और उनके परिवारों के लिए स्मार्ट पोषण विकल्प चुन सकें।

इस रिपोर्ट में ‘जिम्मेदार खेती’ के बारे में भारत के दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि  कृषि उत्पादन को बढ़ाना अब इस क्षेत्र के एकमात्र उद्देश्य के रूप में नहीं देखा जा रहा है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया, ‘‘भारत के कुपोषण संकट को हल करने के लिए पोषण संबंधी पर्याप्तता पर ध्यान केंद्रित करना देश का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए, क्योंकि यहां दुनिया के 50 फीसदी से ज्यादा कुपोषित बच्चे रहते हैं।’’

एसोचैम-ईवाई अध्ययन में यह भी कहा कि फसल-तटस्थ कृषि नीति में बदलाव की जरूरत है, जो विशेष रूप में मुख्य वस्तुओं के खेती की तरफ झुकाव पैदा करता है और किसानों को बाजार की मांग के हिसाब से फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित करता है।  

 इसके अलावा, नीतियों में आबादी के भीतर स्वास्थ्य और सामाजिक असमानता को कम करने, शैक्षिक उपार्जन को बढ़ाने और डब्ल्यूएएसएच (जल, स्वच्छता और स्वच्छता) की सुविधाएं प्रदान करने तथा साथ ही साथ सुरक्षित नौकरियां प्रदान करने जैसी सेवाओं पर ध्यान देने की जरूरत है।

(आईएएनएस)

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