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भारत विश्व का सबसे बड़ा राइस एक्सपोर्टर बना

Source : business.khaskhabar.com | Feb 26, 2024 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 india becomes the world largest rice exporter 621217जयपुर । क्वीन ऑफ राइस कहे जाने वाले बासमती चावल का इन दिनों दुनिया भर में दबदबा बढ़ता जा रहा है। पिछले साल की तुलना में इस बार करीब 6250 करोड़ रुपए मूल्य का बासमती निर्यात बढ़ चुका है, जबकि बासमती की कीमतें पहले के मुकाबले इस साल ज्यादा हैं। जानकारों का कहना है कि इस साल मार्च तक बासमती राइस का निर्यात 45 हजार करोड़ रुपए को पार कर जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। विदेशी बाजारों में भारतीय बासमती की इतनी डिमांड है कि इसके आसपास भी कोई नहीं ठहरता। वर्ष 2022-23 के दौरान कुल एग्री एक्सपोर्ट में बासमती चावल की हिस्सेदारी 17.4 फीसदी रही थी, जो कि इस वर्ष और बढ़ने का अनुमान है।

कमजोर डिमांड से बासमती 5 रुपए प्रति किलो टूटा

इस बीच सर्दी के कारण जनवरी एवं फरवरी माह में बासमती राइस की उपभोक्ता मांग अपेक्षाकृत कमजोर रहने से इसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। जयपुर मंडी में 1121 गोल्डन सेला बासमती 100 से 110 रुपए, 1509 गोल्डन बासमती 85 से 90 रुपए तथा 1401 बासमती 95 से 105 रुपए प्रति किलो पर चार से पांच रुपए प्रति किलो मंदा हो गया है। ठंड कम होने के साथ ही बासमती की डिमांड निकलना शुरू हो जाएगी। परिणामस्वरूप कीमतों में फिर से उछाल आ सकता है।

दुनिया में चावल के कुल एक्सपोर्ट में भारत की 40 फीसदी हिस्सेदारी  

विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया में 300 करोड़ से अधिक लोगों का मुख्य भोजन चावल है। दुनिया का 90 फीसदी चावल एशिया में उगाया जाता है। दुनिया में चावल के कुल एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है। भारत से ईरान, सऊदी अरब, यूएई, ईराक, यमन एवं अमेरिका तक बासमती चावल का एक्सपोर्ट होता है। यूं भी विदेशों में भारतीय बासमती की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। एग्रीकल्चर प्रोसेस्ड् फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डवलपमेंट एथोरिटी (एपीडा) के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 की अप्रैल से दिसंबर की अवधि में 35.43 लाख टन बासमती राइस का निर्यात हुआ है। यह पिछले साल की समान अवधि में एक्सपोर्ट हुए बासमती चावल से 10.78 फीसदी ज्यादा है। बीच में सरकार द्वारा इस चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) बढ़ाने से इसके निर्यात में बढ़ोतरी की दर धीमी पड़ गई थी। लेकिन बाद में न्यूनतम निर्यात मूल्य घटाने के बाद एक्सपोर्ट गति पकड़ने लगा है।

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