दिल्ली हाईकोर्ट का बिजली कंपनियों को राहत देने से इंकार
Source : business.khaskhabar.com | May 27, 2014 |
नई दिल्ली। तीन निजी बिजली कंपनियों के खातों की कैग द्वारा जाच किए जाने के मामले में दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई टाल दी है। इस याचिका में बिजली कंपनियों ने दिल्ली सरकार के उस आदेश को चुनौती दे रखी है, जिसमें कंपनियों के खातों की जाच कैग से कराने की बात कही गई थी। आप की तत्कालीन सरकार द्वारा राजधानी की तीनों बिजली कंपनियों के खातों की जांच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से कराने के मामले में हाईकोर्ट ने तीनों बिजली कंपनियों (डिस्कॉम) की याचिका पर सुनवाई टालते हुए अगली तारीख 22 जुलाई तय की है। इन तीनों बिजली कंपनियों ने कैग से जांच कराने के आदेश पर रोक लगाने की मांग कर रखी है। इससे पहले कैग ने हाईकोर्ट से शिकायत करते हुए बिजली कंपनियों द्वारा जांच में सहयोग न मिलने की बात कही थी। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व राजीव सहाय एंड लॉ की बेंच ने बिजली कंपनियों को किसी तरह की राहत न देते हुए सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की है।
इस मामले में इससे पहले अदालत ने तीनों बिजली कंपनियों को निर्देश दिया था कि वह कैग की जांच में सहयोग करें। बता दें कि इस मामले में बिजली कंपनियों (डिस्कॉम) की कैग से जांच कराने के फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन कैग को भी निर्देश दिए थे कि वह अगले आदेश तक जांच रिपोर्ट दाखिल न करे। इसी आदेश को मुख्य न्यायाधीश की बेंच के समक्ष तीनों बिजली कंपनियों ने चुनौती दी थी। इस पर कैग ने भी तीनों कंपनियों को सहयोग न करने पर याचिका दायर की थी। बिजली दरों को लेकर राजधानी के कुल 55 उपभोक्ताओं ने डीईआरसी में अपनी आपत्तियां और सुझाव दर्ज कराए हैं। आपत्तियां व सुझाव दर्ज कराने की सोमवार को अंतिम तारीख थी।
ज्यादातर उपभोक्ताओं ने सुझाव दिया है कि डीईआरसी वर्ष 2014-15 के लिए तब तक नई दरों की घोषणा नहीं करे, जब तक कि सीएजी की जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती है, उपभोक्ताओं का यह भी कहना है कि जितना घाटा बिजली वितरण कंपनियां दिखा रही हैं, उतने घाटे में वह नहीं हैं। गैर सरकारी संगठन "चेतना" के अध्यक्ष अनिल सूद ने कहा कि बिजली वितरण कंपनियां ऊंची दर पर बिजली खरीद दिखाकर अपने-अपने एआरआर (एनुअल रेवेन्यू रिपोर्ट) में घाटा दिखाती हैं। इस कारण उनकी एआरआर पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। पूर्वी दिल्ली आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फोरम के अध्यक्ष बीएस वोहरा ने कहा कि वितरण कंपनियां मनमाने तरीके से दरें बढवाने के लिए हर तरह का हथकंडा अपना रही हैं। ऎसे में डीईआरसी को सीएजी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही नई दरों को लेकर कोई निर्णय लेना चाहिए। गैर सरकारी संगठन और बिजली आंदोलन के अगुआ सौरभ गांधी ने कहा कि डीईआरसी जनभावनाओं को दरकिनार कर बिजली वितरण कंपनियों को फायदा पहुंचाने में लगी है।