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कच्‍चे तेल की तेजी से चालू खाता घाटा, रुपया दबाव में

Source : business.khaskhabar.com | Oct 02, 2023 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 current account deficit due to rise in crude oil rupee under pressure 590579नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में देखने को मिला है, जिससे भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) बढ़ने और आने वाले समय में रुपये पर और अधिक दबाव की आशंका बढ़ गई है।

देश अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का लगभग 85 प्रतिशत आयात करता है और वैश्विक कीमतों में किसी भी वृद्धि से आयात खर्च बढ़ जाता है। चूंकि कच्चा तेल खरीदने के लिए बड़ा भुगतान डॉलर में करना पड़ता है, इसलिए अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपया कमजोर होता है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, बेंचमार्क वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड जुलाई-सितंबर की तिमाही में 29 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद सोमवार को 91 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गया, जो लगभग दो दशकों में सबसे बड़ी तीसरी तिमाही बढ़त है। बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड पहले से ही 95 डॉलर प्रति बैरल के आसपास मँडरा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण डॉलर की मांग बढ़ने से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 83 रुपये के निचले स्तर पर आ गई है।

पिछले सप्ताह जारी आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) अप्रैल-जून तिमाही में सात गुना बढ़कर 9.2 अरब डॉलर हो गया, जबकि इससे पहले की तिमाही में यह आंकड़ा 1.3 अरब डॉलर था। तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी और वैश्विक बाजारों में मांग में गिरावट के कारण निर्यात में कमी आई है जिससे इसके और बढ़ने की संभावना है।

वित्‍त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही के लिए कैड जीडीपी का 1.1 प्रतिशत था। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा के अनुसार, तेल की ऊंची कीमतों, उच्च कोर आयात और सेवाओं के निर्यात में और मंदी के कारण जुलाई-सितंबर तिमाही में "सीएडी का पर्याप्त विस्तार" जीडीपी के 2.4 प्रतिशत तक हो जाएगा।

आगे चलकर बहुत कुछ वैश्विक बाज़ारों में तेल की कीमतों पर निर्भर करेगा।

आरबीआई रुपये को सहारा देने के लिए बाजार में डॉलर जारी कर रहा है, लेकिन इससे भारतीय मुद्रा की गिरावट को रोका नहीं जा सका है। इससे सितंबर में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट आई है।

आरबीआई द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि 22 सितंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार तीसरे सप्ताह गिरकर 590.7 अरब डॉलर के चार महीने के निचले स्तर पर आ गया।

तीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 8.2 अरब डॉलर घट गया है।

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट चिंता का कारण है क्योंकि आरबीआई के पास अपने बाजार हस्तक्षेप के माध्यम से रुपये में अस्थिरता रोकने के लिए कम गुंजाइश बची है।


(आईएएनएस)

 

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