"रिलायंस, बजाज की महंगी बिजली खरीद पर लगे अंकुश"
Source : business.khaskhabar.com | Jun 30, 2014 | 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि ऊर्जा क्षेत्र में सुधार तभी हो सकता है, जब प्रदेश के निजी घरानों से महंगी बिजली खरीद पर प्रतिबंध लगे और बिजली चोरी पर अपेक्षित अंकुश लगाया जाए। वर्तमान में प्रदेश में बिजली खरीद का जो औसत मूल्य लगातार बढ़ रहा है, उसका मुख्य कारण बजाज व रिलायंस से खरीदी जा रही मंहगी बिजली है।
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि वर्ष 2013-14 के आंक़डों पर ध्यान दें तो अप्रैल से लेकर मार्च 2014 तक जो विभिन्न स्त्रोतों से कुल ऊर्जा खरीदी गई। वह लगभग 82712 मिलियन यूनिट है। उसकी लागत लगभग 31041 करो़ड है। यानी बिजली खरीद का औसत मूल्य लगभग 3.75 रूपये प्रति यूनिट आ रहा है।
चौंकाने वाला मामला यह है कि बिजली कंपनियां जो कुल बिजली बेच पा रही हैं, वह केवल 58211 मिलियन यूनिट ही है। यानी लगभग 24466 मिलियन यूनिट ट्रांसमिशिन और वितरण हानियों में बर्बाद हो रही है। जिसकी लागत लगभग 9167 करो़ड है, जिसमें मार्च 2014 तक केवल 25 प्रतिशत वितरण लाईन हानियों के चलते कुल लगभग 19449 मिलियन यूनिट बिजली बर्बाद हुई, जिसकी कुल लागत लगभग 7293 करो़ड रूपये आएगी। यह कहना गलत होगा कि यदि बिजली कंपनियां अपनी लाइन हानियां अभियान चलाकर प्रत्येक वर्ष 10 प्रतिशत तक कम कर लें तो उन्हें लगभग 3500 करो़ड रूपये का फायदा होगा।
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि विगत दिनों सरकार द्वारा विधान सभा में यह बात रखी गयी कि वर्तमान में विद्युत क्रय का मूल्य रूपया 3.77 प्रति यूनिट आंकलित है, जिसके अनुसार विद्युत आपूर्ति की लागत लगभग रूपया 7.09 प्रति यूनिट आएगी, लेकिन सरकार को शायद यह पता ही होगा कि यह दरें अधिक इसलिए हैं क्योंकि इसमें बजाज व रिलायंस मंहगी बिजली खरीद शामिल हैं। वर्तमान में प्रस्तावित बजाज की 7.75 रूपये प्रतियूनिट बिजली खरीद पर यदि उपभोक्ता छोर पर विद्युत आपूर्ति की लागत निकाली जाए तो वह लगभग 15 रूपये प्रति यूनिट होगी। इसी तरह रिलायंस की औसत दर के आधार पर विद्युत आपूर्ति लागत लगभग 12 रूपये प्रतियूनिट होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को ऊर्जा क्षेत्र से निजी घरानों का दबदबा खत्म कर पारदर्शी नीति के आधार पर कार्यवाही करते हुए हर क्षेत्र में सुधार की पहल करना चाहिए। सही मायने में तभी प्रदेश की जनता को ऊर्जा क्षेत्र में राहत मिलेगी और बिजली दरों में कमी आएगी।