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6 पनडुब्बियों के लिए 60 हजार करोड रूपए का ठेका देगा रक्षा मंत्रालय

Source : business.khaskhabar.com | July 13, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 Defence Minister pass 60, 000 crore tendor for 6  Submarine development   नई दिल्ली । नौसेना को छह पनडुब्बियों की आपूर्ति के लिए 60 हजार करो़ड रूपये के ठेके देने से संबंधित निविदा जल्द ही निकाली जाएगी। यह जानकारी एक जानकार सूत्र ने दी, जिसने यह भी बताया कि इसके लिए लार्सन एंड टुब्रो, पिपावाव डिफेंस और मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड सहित छह कंपनियों के बीच क़डा मुकाबला होगा। रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, ""परियोजना 75आई के लिए प्रस्ताव अनुरोध (आरईपी) जल्द ही आमंत्रित किया जाएगा। आठ साल में छह पनडुब्बियां बनाने की योजना है।"

अधिकारी ने कहा, "एक उच्चास्तरीय समिति ने कई कंपनियों की शिपयार्ड का जायजा लिया है। समिति की सिफारिश के मुताबिक मैं इतना ही कह सकता हूं कि एलएंडटी, पिपावाव और मझगांव डॉक्स तीन प्रमुख दावेदार हैं।" उन्होंने कहा, "परियोजना 75 में पहले ही 50 महीने की देरी हो चुकी है। इसे फिर से पटरी पर लाया जा रहा है।" एक अन्य अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि आठ सदस्यीय समिति के निष्कर्ष पर विचार करने के लिए आंतरिक बैठकें भी होंगी। उसने कहा, ""समिति ने गत वर्ष दिसंबर में रिपोर्ट सौंपी थी। इस विचार जल्द ही शुरू होगा।" रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अप्रैल में कहा था कि पी75 परियोजना के लिए निजी कंपनियों को भी आमंत्रित किया जाएगा।

उन्होंने साथ ही कहा था कि समय से पहले परियोजना पूरी करने पर पारितोषिक दी जाएगी और देरी करने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। ये पनडुब्बियां राडार की पकड में नहीं आएंगी। साथ ही इनमें वायु स्वतंत्र प्रणोदक (एआईपी) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल होगा। इस प्रौद्योगिकी का विकास करने वाला भारत एक मात्र गैर-पश्चिमी मुल्क है। सरकार ने तीन साल पहले ही इस तरह की छह पनडुब्बियों के लिए मंजूरी दी थी। शुरू में इनके आयात का फैसला किया गया था, लेकिन बाद में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत इनके भारत में ही बनाने का फैसला किया गया।

एक आम पनडुब्बी को जहां हर तीन से पांच दिन में ऑक्सीजन लेने के लिए पानी की सतह पर आना प़डता है, वहीं एआईपी क्षमता वाली एक आम पनडुब्बी लगातार करीब दो सप्ताह तक डुबकी लगाए रह सकती है। अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र के अंबरनाथ स्थित नेवल मैटेरियल रिसर्च लैब ने एआईपी प्रौद्योगिकी का विकास किया है।