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दुनिया में मंदी का खतरा, चीन को पछाडेगा भारत: वल्र्ड बैंक

Source : business.khaskhabar.com | Jun 11, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 Danger of global inflamation, no effect on India: world bankवॉशिंगटन। विश्व बैंक की यह भविष्यवाणी चिंताजनक हो सकती है। इसने कहा है कि इस साल ग्लोबल ग्रोथ रेट कम रहेगा। यानी विश्व बैंक की भविष्यवाणी सही हुई तो दुनिया को आर्थिक मंदी अपने चपेट में ले सकती है। विश्व बैंक ने साथ ही दुनिया के देशों को अपनी कमर कसने के उपाय करने का भी सुझाव दिया है, क्योंकि ऎसी स्थिति में उनको उच्च अमेरिकी ब्याज दरों का सामना करना पड सकता है। इसने फेडरल रिजर्व बैंक को भी रेट कट को लेकर चेताया है।

विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा कि फेडरल रिजर्व को एक्सचेंज रेट में उतार-चढाव की खराब होती स्थिति और लडखडाती ग्लोबल ग्रोथ से बचने के लिए अगले साल तक ब्याज दरों को बढाने से परहेज करना चाहिए। इसने द्विवार्षिक वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट में भविष्यवाणी की है कि विश्व की अर्थव्यवस्था इस साल 2.8 फीसदी की ग्रोथ से बढेगी जो जनवरी में इसकी 3 फीसदी ग्रोथ की भविष्यवाणी से कम है। बैंक ने कहा है कि पिछले साल से तेल मूल्यों में करीब 40 फीसदी गिरावट ने आयातकों को अपेक्षा से अधिक चोट पहुंची है। विश्व बैंक ने दुनिया के देशों को उच्च अमेरिकी ब्याज दरों के लिए भी तैयार रहने की चेतावनी दी है। विश्व बैंक ने जहां दुनिया में आर्थिक मंदी की चेतावनी दी है वहीं भारत को लेकर सकारात्मक भविष्यवाणी की है।

इसका कहना है कि इस साल सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था ही ऎसी है जो अपनी ग्रोथ रफ्तार को बनाए रखेगी और 7.5 फीसदी की ग्रोथ रेट हासिल कर लेगी जो 6.4 फीसदी की इसकी पहले की भविष्यवाणी से काफी अधिक है। वहीं विश्व बैंक ने ब्राजील, रूस और संयुक्त राज्य की ग्रोथ रेट कम होने की भविष्यवाणी की है। विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है, इस साल 7.5 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि के साथ भारत पहली बार विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि की संभावना के लिहाज से सबसे आगे है। रिपोर्ट में कहा गया कि चीन की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। विकसित देशों की वृद्धि दर अब इस साल 4.4 प्रतिशत, 2016 में 5.2 प्रतिशत और 2017 में 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में सतर्क प्रबंधन के बीच नरमी बरकरार है और इस साल इसकी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत पर बरकरार रह सकती है। भारत जो पेट्रोलियम आयातक है, में सुधार से भरोसा बढा है और पेट्रोलियम मूल्य में गिरावट से संवेदनशीलता कम हुई है जिससे 2015 में अर्थव्यवस्था के 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने का रास्ता साफ हुआ।

बसु ने कहा कि धीरे-धीरे वैश्विक अर्थव्यवस्था की धुरी निश्चित तौर पर बदल रही है। उन्होंने कहा कि चीन ने फिलहाल मुश्किलें सफलतापूर्वक टाल दी हैं और आसानी से 7.1 फीसदी की वृदि्ध दर की ओर बढ रहा है। ब्राजील जो भ्रष्टाचार के घोटालों के कारण सुर्खियों में है, वह कम भाग्यशाली रहा और नकारात्मक वृदि्ध के दौर में है। उन्होंने कहा कि इस बदलाव पर सबसे बडी छाया आखिरकार अमेरिका अर्थव्यवस्था में तेजी की रहेगी। दक्षिण एशिया में वृदि्ध इस साल 6.1 प्रतिशत बरकरार रहने की उम्मीद है, जिसका नेतृत्व भारत में चक्रीय सुधार करेगा और इससे उच्चा आय वाले देशों में धीरे-धीरे मांग बढने से मदद मिलेगी।

रपट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर कच्चो तेल की कीमत में गिरावट इस क्षेत्र के लिए बडा फायदा रहा है। इससे राजकोषीय स्थिति और चालू खाते में सुधार के अलावा कुछ देशों में सब्सिडी सुधार करने और मौद्रिक नीति में उदारता को प्रेरित कर रहा है। भारत में नए सुधार से कारोबार तथा निवेशकों का भरोसा बढ रहा है और नया पूंजी प्रवाह आकर्षित हो रहा है। इससे इस साल 7.5 प्रतिशत की वृदि्ध दर्ज करने में मदद मिलनी चाहिए। रपट के मुताबिक, विकासशील देशों के सामने 2015 में कई तरह की कठिन चुनौतियां हैं जिनमें उच्चा ब्याज दर की बढती आशंकाएं शामिल हैं। विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष जिम योंग किम ने कहा, वित्तीय संकट के बाद विकासशील देश वैश्विक वृद्ध के वाहक रहे लेकिन उनके सामने ज्यादा मुश्किल आर्थिक माहौल है।