सस्ते होंगे होम और ऑटो लोन, ब्याज दरों मे कटौती की उम्मीद!
				Source : business.khaskhabar.com | Jun 13, 2015 | 
 
				
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा ब्याज के मुद्दे पर शुक्रवार को  साफ-साफ बात किए जाने के बाद सार्वजनिक व निजी बैंक आने वाले दिनों में  ब्याज दरों में "अच्छी खासी" कटौती की तैयारी में हैं जिससे ग्राहकों के  लिए कर्ज सस्ता होगा। जेटली ने आज इन बैंकों के साथ बैठक में सीधे सपाट ढंग से पूछा कि वे रिजर्व  बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के बावजूद वे इसका फायदा  ग्राहकों को क्यों नहीं पहुंचा पाए हैं। 
सस्ती पूंजी उपलब्ध कराकर  आर्थिक वृद्धि को बल देने के इच्छुक जेटली ने आज सार्वजनिक व निजी बैंकों  के आला अधिकारियों से अलग-अलग बैठक की। इस दौरान उन्होंने बैंकों के मुद्दे  पर निरूत्साह पर सरकार की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया। एक सरकारी बयान  के अनुसार, "वित्त मंत्री ने सार्वजनिक व निजी बैंकों के सीईओ से कहा कि वे  केंद्रीय बैंक की और से नीतिगत ब्याज दर में की गई 0.75 प्रतिशत की कटौती  के अनुरूप ही ब्याज दर में कटौती करें।" उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व  बैंक जनवरी के बाद से तीन किस्तों में नीतिगत ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत  कटौती की है। इसके अनुसार,"सभी बंकों ने एक मत से से राय रखी कि दो तीन  महीने की अवधि में ब्याज दरों में अच्छी खासी कमी देखने को मिलेगी।"  
उल्लेखनीय  है कि वित्त मंत्री ने पहले सार्वजनिक बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की  थी। इसके बाद एक "असामान्य घटनाक्रम" में निजी क्षेत्र के तीन प्रमुख  बैंकों-आईसीआईसीआई, एचडीएफसी व एक्सिस" को जेटली के साथ विचार विमर्श के  लिए बुलाया गया। जेटली ने बैठक के बाद खुद संवाददाताओं को बताया कि,  "नीतिगत दर में कटौती के एक हिस्से का फायदा उपभोक्ताओं को दिया जा चुका है  पर कुछ बैंकों ने ऎसा नहीं किया है। मुझे लगता है कि अगले कुछ दिनों में,  कुछ बैंक को लगता है कि अगले कुछ हफ्तों में वे और अधिक कटौती करने की  स्थिति में होंगे।" बैठक में वित्तमंत्री ने बैंक प्रमुखों से पूछा कि  प्रणाली में ब्याज दर में कटौती केवल 0.25 प्रतिशत की कटौती क्यों हुई है  जबकि भारतीय रिजर्व बैंक जनवरी के बाद से 0.75 प्रतिशत की कटौती कर चुका  है। जेटली ने कहा कि कुछ बैंकों ने तुलन पत्र से जुडी समस्याओं और लघु बचत  योजनाओं पर उच्च ब्याज दरों के मद्देनजर ब्याज कम करने में अपनी असमर्थता  को जाहिर किया।
बयान के अनुसार बैंक अधिकारियों ने कहा कि जब तक  बैंकों के लिए कोष: जमाओं की लागत में कमी नहीं आएगी और नई लागत पर नकदी  स्तर का परीक्षण नहीं किया जाएगा, उनके लिए पूरी कटौती का फायदा आगे देना  व्यावहारिक नहीं होगा। वित्त मंत्री ने कहा "माहौल आशावादी है। बैंकिंग  क्षेत्र में माहौल सुधरता नजर आ रहा है, इससे जहां तक अर्थव्यवस्था का सवाल  है तो और तेजी आने की उम्मीद जगती है।" उल्लेखनीय है भारतीय रिजर्व बैंक  ने नीतिगत ब्याज दर में दो जून को 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। इसके बाद  एसबीआई सहित अनेक बैंकों ने अपनी न्यूनतम उधारी दर में कटौती की है। बैठक में वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि बैंक चाहें तो पूंजी  जुटाने के लिए अपनी गैर-प्रमुख आस्तियों को बेच सकते हैं। जेटली ने  सार्वजनिक बंकों में और अधिक पूंजी डालने का वादा किया तथा कहा कि बजटीय  प्रावधान से अतिरिक्त धन की उनकी मांग में "दम" है। 
सार्वजनिक बैंक  प्रमुखों के साथ बैठक के बाद उन्होंने कहा, "बैंकों ने अतिरिक्त पूंजी के  लिए मजबूत मामला रखा है और सरकार आने वाले कुछ महीनों में इस मुद्दे पर  गंभीरता से विचार करेगी।" सरकार ने 2015-16 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र  के बैंकों के लिए 7,900 करोड रूपए की पूंजी डालने का प्रावधान किया है।  फंसे कर्ज संबंधी एक सवाल पर जेटली ने कहा कि यह जनवरी मार्च की तिमाही में  घटा और उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था में सुधार व विशेषकर ढांचागत परियोजनाओं  में सार्वजनिक खर्च में वृद्धि के साथ हालात और सुधरेंगे। उन्होंने कहा,  "मार्च 2015 के समाप्त तिमाही में वसूल नहीं हो रहे कर्ज एनपीए का अनुपात  5.64 प्रतिशत से घटकर 5.2 प्रतिशत हो गया। पर एक तिमाही के आंकडों से रझान  का संकेत नहीं मिलता। इसलिए मैं पैटर्न क्या है इसको देखने के लिए कुछ और  समय इंतजार करूंगा। बैंकों का खुद आकलन है कि थोडा और सुकूनदेह स्थिति आने  में दो-तीन तिमाहियां लगेंगी।"