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वंदे भारत हाई-स्पीड ट्रेन, अब एल्युमिनियम से बनी हल्की और अधिक ऊर्जा कुशल होगी

Source : business.khaskhabar.com | Mar 02, 2023 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 vande bharat high speed train now made of aluminium will be lighter and more energy efficient 546059

नई दिल्ली।देश की हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेन अब एल्युमिनियम निर्मित होगी, इसलिए ये ट्रेन पहले के मुकाबले और हल्की, अधिक ऊर्जा कुशल साबित होंगी। जानकारी के मुताबिक वंदे भारत ट्रेन के कोच अब स्टील की बजाय एल्युमिनियम से तैयार होगें। पहले चरण में 100 एल्युमिनियम-बॉडी वंदे भारत ट्रेनों को तैयार किया जाएगा।
इसके लिए रेलवे ने पिछले दिनों नई वंदे भारत एल्युमीनियम ट्रेनों के लिए बोलियां आमंत्रित की थी जिस पर कई कंपनियों ने ट्रेनों के मैन्युफैक्च रिंग व रखरखाव के लिए बोली लगाई है। इन आवेदकों में फ्रांस की एल्सटॉम, हैदराबाद स्थित मेधा सर्वो ड्राइव्स ने परियोजना के लिए बोली लगाई। वहीं रूस की फर्म ट्रांसमैशहोल्डिंग (टीएमएच) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के संयुक्त उद्यम ने भी 200 लाइटवेट वंदे भारत ट्रेनों के मैन्युफैक्च रिंग व रखरखाव के लिए सबसे कम बोली लगाई है।
जानकारी के मुताबिक कंसोर्टियम ने करीब 58,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है, जिसमें एक ट्रेन सेट के विनिर्माण की लागत 120 करोड़ रुपये है। जो आईसीएफ-चेन्नई द्वारा निर्मित अंतिम वंदे भारत ट्रेनों की लागत 128 करोड़ रुपये प्रति सेट से कम है। दूसरी सबसे कम बोली टीटागढ़-बीएचईएल की थी, जिसने एक वंदे भारत के विनिर्माण की लागत 139.8 करोड़ रुपये लगाई।
हालांकि, अभी इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन ये तय माना जा रहा है कि कि आगे आने वाली वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण अब रूस की फर्म ट्रांसमैशहोल्डिंग (टीएमएच) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) द्वारा किया जाएगा।
देश को अब तक केवल दस वंदे भारत ट्रेनें मिली हैं, ये तय टारगेट 200 वंदे भारत ट्रेनों से कोसों दूर है। इसलिए ट्रेन निर्माण के काम को गति देने के लिए रेलवे ने निजी कंपनियों का सहयोग लेने का फैसला किया था।

पहली बार इन कंपनियों द्वारा निर्मित वंदे भारत ट्रेनों में एल्युमीनियम से बने कोच होंगे। अभी तक इन सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों को स्टेनलेस स्टील से बनाया जा रहा था। एल्युमीनियम बॉडी वंदे भारत ट्रेनों को हल्का और अधिक ऊर्जा कुशल बनाएगी। साथ ही, इन ट्रेनों की लागत भी कम हो जायेगी।
रेलवे डील की शर्तों के मुताबिक भारतीय रेल इन कंपनियों को इंफ्रा और फैक्ट्री मैन्युफैक्च रिंग की सुविधा देगा। लेकिन इन कंपनियों को ट्रेनों का निर्माण करने के साथ ही अगले 35 साल तक इनके रखरखाव में भी मदद करनी होगी।
--आईएएनएस

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