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सरकार फसल उत्पादकता और किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए कर रही है एआई टूल्स का इस्तेमाल

Source : business.khaskhabar.com | Dec 06, 2025 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 the government is using ai tools to improve crop productivity and farmers livelihoods 773404नई दिल्ली । सरकार कृषि क्षेत्र की समस्याएं हल करने, खेती की पैदावार बढ़ाने, खेती को टिकाऊ बनाने और किसानों की आय सुधारने के लिये ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स’ यानी एआई का उपयोग कर रही है। 
इसी उद्देश्य से ‘डेवलपमेंट इनोवेशन लैब–इंडिया’ के साथ मिलकर एक एआई-आधारित परीक्षण किया गया। इसके तहत खरीफ 2025 के लिये 13 राज्यों के कुछ क्षेत्रों में स्थानीय मानसून आने के समय का पूर्वानुमान तैयार किया गया।
कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर के अनुसार, एक ओपन-सोर्स ब्लेंडेड मॉडल का इस्तेमाल किया गया। इसमें ‘न्यूरल-जीसीएम’, ‘यूरोपीय सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट्स’ यानी ईसीएमडब्ल्यूएफ का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फोरकास्टिंग सिस्टम (एआईएफएस) प्रणाली और भारतीय मौसम विभाग के 125 वर्ष के वर्षा आंकड़े शामिल किए गए।
ये पूर्वानुमान केवल इस बात की सम्भावना बताते थे कि आपके क्षेत्र में मानसून कब शुरू होगा। यह जानकारी किसानों के लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि इसी के आधार पर बुवाई की तिथि तय होती है।
स्थानीय मानसून पूर्वानुमान एम-किसान पोर्टल के माध्यम से एसएमएस भेजकर 13 राज्यों के 3,88,45,214 किसानों तक पांच भाषाओं (हिन्दी, उड़िया, मराठी, बांग्ला और पंजाबी) में पहुंचाए गए।
पूर्वानुमान भेजने के बाद मध्य प्रदेश और बिहार में किसान कॉल सेंटरों के द्वारा किसानों से टेलीफोन पर प्रतिक्रिया ली गई।
सर्वे में पाया गया कि लगभग 31 से 52 प्रतिशत किसानों ने इन पूर्वानुमानों के आधार पर अपनी बुवाई की योजनाएं बदलीं। इसमें जमीन की तैयारी, बुवाई के समय, फसल चयन और अन्य आवश्यक इनपुट बदलना शामिल था।
इसके अलावा ‘किसान ई-मित्र’ नाम का एक वॉयस-बेस्ड एआई चैटबॉट बनाया गया है। यह किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट से संबंधित उनके सवालों के जवाब देने में मदद करने के लिए विकसित किया गया है।
यह प्रणाली 11 भाषाओं का समर्थन करती है और अन्य सरकारी कार्यक्रमों में भी मदद करने के लिए विकसित हो रही है। मंत्री के अनुसार, फिलहाल यह रोज़ाना 8,000 से अधिक किसानों के प्रश्नों का उत्तर देती है और अब तक 93 लाख से अधिक सवाल हल कर चुकी है। 
 राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली भी एआई और मशीन लर्निंग की मदद से खेतों में कीटों का पता लगाती है, जिससे समय रहते बचाव किया जा सके और फसल को कम से कम नुकसान हो।
यह एआई उपकरण 10,000 से अधिक कृषि विस्तार कर्मियों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। किसान किसी कीट की तस्वीर खींचकर भेजते हैं और यह प्रणाली कीट की पहचान कर समाधान सुझाने में मदद करती है। इससे कीट प्रकोप और फसल हानि कम होती है।
यह प्रणाली 66 फसलों और 432 से अधिक प्रकार के कीटों पर किसानों को सपोर्ट करती है। सैटेलाइट-आधारित फसल मैपिंग के लिए फील्ड तस्वीरों का इस्तेमाल करके एआई-आधारित एनालिटिक्स का इस्तेमाल बोई गई फसलों की फसल-मौसम मैचिंग मॉनिटरिंग में किया जा रहा है।
--आईएएनएस
 

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