आमदनी बढ़ाने दूध उत्पादन अपना रहे किसान : राधा मोहन
Source : business.khaskhabar.com | Jan 14, 2017 | 

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि ग्रामीण परिवारों में दूध उत्पादन एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि बन गया है और किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेती-बाड़ी के साथ इसे भी अपना रहे हैं।
सिंह ने यह बात शुक्रवार को कृषि मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की अंतर-सत्रीय बैठक में कही। बैठक में राष्ट्रीय डेयरी योजना के कार्यान्वयन पर चर्चा हुई।
राधा मोहन ने कहा, ‘‘देश के लगभग सात करोड़ ग्रामीण परिवार दूध उत्पादन में लगे हुए हैं। छोटे और सीमांत किसान तथा भूमिहीन श्रमिक, व्यक्तिगत रूप से प्रतिदिन लगभग एक-तीन लीटर दूध का उत्पादन कर देश के अधिकांश दूध का उत्पादन करते हैं। देश के लगभग 78 प्रतिशत किसान, छोटे तथा सीमांत हैं, जिनके पास लगभग 75 प्रतिशत मादा गौजातीय पशु हैं, लेकिन केवल 40 प्रतिशत फार्म भूमि है। दूध, ग्रामीण परिवारों की सकल आय में लगभग एक-तिहाई का तथा भूमिहीन लोगों के मामले में उनकी सकल आय के लगभग आधे हिस्से तक का योगदान करता है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘भारत 1998 से विश्व के दुग्ध उत्पादक राष्ट्रों में पहले स्थान पर बना हुआ है। यहां विश्व की सबसे अधिक बोवाईन आबादी (18.4 प्रतिशत हिस्सा) है। भारत में दूध का उत्पादन 1970 के लगभग 2.2 करोड़ टन से बढक़र 2015-16 में 15.6 करोड़ टन हो गया, जो पिछले 46 वर्षों में 700 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इसकी बदौलत भारत में 299 ग्राम प्रतिदिन विश्व औसत के मुकाबले दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 337 ग्राम प्रतिदिन है।’’
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘पिछले दो वर्षों में 2014-16 से दूध के उत्पादन ने 6.28 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की है, जो पिछले वर्ष की लगभग चार प्रतिशत की विकास दर से अधिक है तथा 2.2 प्रतिशत के विश्व विकास औसत के मुकाबले तीन गुना अधिक है। यदि चावल तथा गेहूं दोनों को भी मिला दिया जाए तो भी 2014-15 में 4.92 करोड़ रुपये के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में दूध का 37 प्रतिशत से भी अधिक का योगदान है।’’
उन्होंने कहा कि देश में उत्पादित दूध का लगभग 54 प्रतिशत अधिशेष है, जिसमें लगभग 38 प्रतिशत संगठित क्षेत्र के तहत है। इसमें सहकारिता तथा निजी डेयरी संगठनों की बराबर की भागीदारी होती है। सिंह ने बताया कि डेयरी व्यवसाय में महिलाओं की लगभग 70 प्रतिशत भागीदारी है।
उन्होंने कहा, ‘‘दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए यह जरूरी है कि दूध इक_ा करने की सुविधाओं में सुधार किया जाए तथा किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए लाभकारी मूल्य दिया जाए। यह तभी संभव है, जब दूध उत्पादकों को बाजार से जोडऩे के लिए एक प्रभावी प्रबंधन प्रणाली स्थापित हो।’’
सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन और डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीबीबीडीडी) को 2014-15 में चार विद्यमान योजनाओं का मिलाकर प्रारंभ किया गया है। इसका उद्देश्य दूध की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए व्यापक और वैज्ञानिक कार्यक्रम तैयार करना है। योजना के दो घटक हैं- राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन कार्यक्रम (एनपीबीबी) और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी)।(आईएएनएस)
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