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लार्सन एंड टूब्रो, यूरोपियन कंपनी के साथ मिलकर बनाएगी मिसाइल

Source : business.khaskhabar.com | Feb 14, 2017 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 larsen and toubro  european firm set up jv for missile systems 172138नई दिल्ली। बहुराष्ट्रीय इंजीनियरिंग समूह एवं निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी लार्सन एंड टूब्रो और मिसाइल प्रणाली बनाने वाली अग्रणी यूरोपियन कंपनी एमबीडीए ने भारतीय सशस्त्र सेना की बढ़ती आवश्यकताएं पूरी करने के लिए मिसाइल एवं मिसाइल प्रणालियों के विकास एवं आपूर्ति के लिए संयुक्त उद्यम स्थापित किया है।

‘एलएंडटी एमबीडीए मिसाइल सिस्टम्स लिमिटेड’ नामक यह संयुक्त के 2017 की पहली छमाही में शुरू हो जाने का अनुमान है।

एलएंडटी की इस कंपनी में 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी और एमबीडीए की इसमें 49 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी। इस संयुक्त उद्यम को भारत में पंजीकृत किया जायेगा और यह भारतीय नियमों के अनुसार भारतीय कंपनी अधिनियम के आधार पर चलाया जाएगा।

कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि संयुक्त उद्यम के दोनों ही सहयोगियों का भारतीय थल सेना के भरोसेमंद आपूर्तिकता होने का ट्रैक रिकॉर्ड है - और वे जल, थल और वायु सेना के लिए महत्वपूर्ण आयुध प्रणाली एवं रक्षा समाधान उपलब्ध कराते रहे हैं।

शुरू में, यह संयुक्त उद्यम कंपनी पांचवीं पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल्स, कोस्टल बैटरीज के लिए मिसाइल्स और हाई स्पीड टार्गेट ड्रोन्स तैयार करने एवं उनकी आपूर्ति करने पर ध्यान देगी।

एलएंडटी के समूह कार्यकारी अध्यक्ष ए एम नाईक ने बताया, ‘‘हम डीआरडीओ और भारतीय नौसेना के भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं और उन्हें पिछले तीन दशकों से भारत में डिजाइन किए गए, विकसित एवं तैयार किए गए संपूर्ण आयुध प्रणालियां एवं प्लेटफॉम्र्स, कमांड कंट्रोल व सेंसर सिस्टम्स उपलब्ध कराते रहे हैं। इस दौरान, हमने रक्षा मंत्रालय और इनकी विभिन्न शाखाओं के साथ मिलकर काम किया है और संयुक्त रूप से उत्कृष्ट रक्षा समाधान विकसित करते रहे हैं व उपलब्ध कराते रहे हैं।’’

एमबीडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एंटोनी बॉवियर ने कहा, ‘‘भारत में हमारी व्यावसायिक रणनीति में न केवल सशस्त्र बलों बल्कि भारतीय उद्योग के साथ भी गहरे से गहरे स्तर पर साझेदारियां बनाने पर हमेशा जोर दिया गया है। हम सरकारी स्वामित्व वाले डीपीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रम) के साथ तकनीक के स्थानांतरण एवं उत्पादों व कल-पुर्जों के निर्माण में देख चुके हैं और बड़ी-से-बड़ी कंपनियों एवं लघु व मझोले उद्यमों सहित भारत के निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ गहरी साझेदारी की है।’’
(आईएएनएस)

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