मंडियों में सरसों की आवक घटने से कीमतों में भारी उछाल, जयपुर में ₹6750 प्रति क्विंटल पहुंची कीमतें
Source : business.khaskhabar.com | May 29, 2025 | 
जयपुर। राजस्थान की मंडियों में इन दिनों सरसों के भावों में निरंतर तेजी का रुख देखा जा रहा है। जयपुर मंडी में सरसों मिल डिलीवरी 42 प्रतिशत तेल कंडीशन बुधवार को ₹6750 प्रति क्विंटल पर पहुंच गई, जो कीमतों में भारी उछाल को दर्शाता है। सरसों सीड की कीमतों में इस मजबूती के चलते एगमार्क सरसों तेल भी ₹25 प्रति टिन महंगा हो गया है।
जानकारों के अनुसार, सरसों सीड में इस तेजी का मुख्य कारण कम आवक और बढ़ती मांग है। इस वर्ष शुरुआती अनुमान था कि देश में सरसों का उत्पादन 110 लाख टन होगा, लेकिन अब यह घटकर लगभग 105 लाख टन रहने का अनुमान है। कम उत्पादन के साथ-साथ, किसानों द्वारा कम भाव मिलने की वजह से सरसों को रोक लेने के कारण भी मंडियों में आवक में भारी गिरावट आई है, जिससे कीमतों को मजबूती मिली है।
इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में सरसों खल की मांग में लगातार वृद्धि के समाचार भी हैं, जिसके परिणामस्वरूप पेराई के लिए सरसों की मांग मजबूत हो रही है। अन्य तिलहनी फसलों और उनके उत्पादों की कमी का भी सरसों की कीमतों पर असर दिखाई दे रहा है, जिससे समग्र रूप से तिलहन बाजार में दबाव बना हुआ है।
यदि पिछले साल से सरसों के भावों की तुलना करें, तो वर्तमान में सरसों सीड के भाव करीब ₹600 प्रति क्विंटल ऊंचे चल रहे हैं।
जानकारों का मानना है कि देशभर की मंडियों में सरसों की आवक में आई भारी गिरावट से सरसों में यह मजबूती बनी हुई है। कृषि विशेषज्ञ और बाजार के जानकार इस बात पर सहमत हैं कि सरसों में आगे भी मंदी के आसार नहीं के बराबर हैं, जिसका अर्थ है कि आने वाले समय में कीमतें स्थिर या और बढ़ सकती हैं।
यह स्थिति किसानों के लिए तो लाभकारी है, लेकिन उपभोक्ताओं पर इसका सीधा असर पड़ेगा। यह स्थिति देश में तिलहन उत्पादन की बदलती गतिशीलता और वैश्विक बाजार की मांग के प्रभाव को दर्शाती है, जिसका सीधा असर कृषि अर्थव्यवस्था और खाद्य तेल बाजार पर पड़ रहा है।
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