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बिहार : हीट वेव, भीषण गर्मी से केले की फसल को नुकसान

Source : business.khaskhabar.com | Jun 07, 2024 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 bihar heat wave severe heat damages banana crop 644251पटना । बिहार के हाजीपुर और कोसी क्षेत्र की पहचान केले के उत्पादक के रूप में होती है। इन इलाकों में लंबी और बौनी दोनों प्रजातियों के केले की खेती की जाती है। हाल के वर्षों में हीट वेव और भीषण गर्मी ने केले की फसल को नुकसान पहुंचाया है। वैज्ञानिकों का भी मानना है कि कई वर्षों से हीट वेव (लू) की साल दर साल बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता, विशेष रूप से 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान, केले की खेती के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा कर रहा है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि अत्यधिक तापमान केले की वृद्धि और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा, समस्तीपुर के विभागाध्यक्ष और अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक प्रोफेसर डॉ. एस के सिंह ने आईएएनएस से कहा कि उच्च तापमान केले में फूल और फल लगने के लिए आवश्यक हार्मोनल संतुलन को बाधित करता है। वे कहते हैं कि फूल को बढ़ावा देने वाले हार्मोन, गर्मी के तनाव से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो जाते हैं, जिससे पुष्पक्रम का खराब विकास होता है।

इसके अलावा, फूल लगने की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान गर्मी के चलते असामान्य फूल होंगे जिससे कम फल लग सकते हैं।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में केले की खेती 42.92 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है, जिससे कुल 1968.21 हजार टन उत्पादन होता है। बिहार की उत्पादकता 45.86 टन प्रति हेक्टेयर है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर केला 924 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाया जाता है, जिससे कुल 33,062 टन उत्पादन प्राप्त होता है।

बताया जाता है कि इसकी खेती के लिए आवश्यक है कि तापक्रम 13 से 40 डिग्री के बीच हो। सर्दी में न्यूनतम तापमान जब 10 से डिग्री नीचे जाता है तब केला के पौधे के अंदर द्रव का प्रवाह रुक जाता है, जिससे केला के पौधे का विकास रुक जाता है और कई तरह के विकार दिखाई देने लगते हैं।

सिंह बताते हैं कि हीट वेव से केले के पकने की प्रक्रिया तेज हो जाती है, जिससे समय से पहले फल पक जाते हैं और फलों की 'शेल्फ लाइफ' कम हो जाती है। उच्च तापमान पर श्वसन दर में वृद्धि के कारण स्टार्च का शर्करा में तेजी से कमी आ जाती है, जिससे फल अधिक पके और अक्सर फट जाते हैं।

किसान भी मानते है कि हीट वेव से केले की फसल प्रभावित हुई है। इधर, वैज्ञानिकों का मानना है कि सिंचाई के जरिए मिट्टी की नमी के स्तर को बनाए रखा जा सकता है।

--आईएएनएस

 

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