प्याज, लहसुन के साथ खाने के तेल में लगा महंगाई का तड़का
Source : business.khaskhabar.com | Dec 21, 2019 | 

नई दिल्ली। प्याज और लहसुन के साथ-साथ खाने के तेल में भी महंगाई का तड़का
लग गया है। आयात महंगा होने से खाने के तमाम तेलों के दाम में भारी इजाफा
हुआ है और आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं को इसके लिए अपनी जेब और ढीली
करनी पड़ सकती है क्योंकि खाद्य तेल की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं
दिख रहे हैं।
पाम तेल के दाम में बीते दो महीने में 35 फीसदी से
ज्यादा की तेजी आई है। देश के बाजारों में पाम तेल का दाम करीब 20 रुपये
प्रति किलो बढ़ा है। पाम तेल में आई तेजी से अन्य खाद्य तेलों के दाम में
भी भारी वृद्धि दर्ज की गई है।
तेल-तिलहन बाजार विशेषज्ञ सलिल जैन
ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि बीते दो महीने से खाने के तमाम तेलों के
दाम को पाम तेल से सपोर्ट मिल रहा है और मलेशिया एवं इंडोनेशिया से लगातार
पाम तेल का आयात महंगा होने से खाद्य तेल की महंगाई आने वाले दिनों में और
बढ़ सकती है।
हालांकि खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट
एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी. वी मेहता
का कहना है अंतर्राष्ट्रीय बाजार से आयात महंगा होने के कारण आज भारत में
खाद्य तेलों के दाम में वृद्धि देखी जा रही, लेकिन इससे देश के किसानों को
तिलहनों का ऊंचा भाव मिल रहा है, जिससे वे तिलहनों की खेती करने को लेकर
उत्साहित होंगे।
उन्होंने कहा, "हमें अगर, खाद्य तेल के मामले में
आत्मनिर्भर बनना है तो किसानों को प्रोत्साहन देना ही पड़ेगा जोकि उन्हें
उनकी फसलों का बेहतर व लाभकारी दाम दिलाकर किया जा सकता है।"
भारत
दुनिया का दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है जो खाद्य तेल की अपनी
जरूरतों के अधिकांश हिस्से की पूर्ति आयात से करता है। इस साल बारिश के
कारण खरीफ सीजन में सोयाबीन की फसल कमजोर रहने और रबी तिलहनों की बुवाई
सुस्त रहने के बाद उम्मीद की जा रही है कि खाद्य तेलों के आयात पर देश की
निर्भरता और बढ़ेगी।
उधर, मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम तेल आयात
लगातार महंगा होता जा रहा है। वहीं, अजेंटीना में सोया तेल पर निर्यात
शुल्क बढ़ने से भारत में सोया तेल आयात की लागत बढ़ जाएगी, जिससे आने वाले
दिनों में खाने के तेल की महंगाई और बढ़ सकती है।
अर्जेटीना ने सोया
तेल पर निर्यात शुल्क 25 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया है। उधर,
मलेशिया में अगले साल बी-20 बायो डीजल प्रोगाम और इंडोनेशिया में बी-30
बायो डीजल प्रोग्राम शुरू होने के बाद दोनों देशों में पाम तेल की घरेलू
खपत बढ़ जाएगी जिससे, तेल का स्टॉक कम होने पर दाम को सपोर्ट मिलता रहेगा।
मल्टी
कमोडिी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सीपीओ का दिसंबर अनुबंध 24 सितंबर को 543.2
रुपये प्रति 10 किलो तक गिरा था जबकि शुक्रवार को सीपीओ का भाव 744 रुपये
प्रति 10 ग्राम तक उछला। इस करीब दो महीने के दौरान सीपीओ के दाम में 37
फीसदी की तेजी आई।
कारोबारियों ने बताया कि मलेशिया और इंडोनेशिया
में पाम तेल का दाम बढ़ने से आयात घटा है, जिससे घरेलू बाजार में तेल के
दाम को सपोर्ट मिल रहा है।
सॉल्वेंट एक्सट्रक्टर्स द्वारा संकलित
आंकड़ों के अनुसार, बीते महीने नवंबर में देश में वेजीटेबल ऑयल (खाद्य एवं
अखाद्य) तेलों का आयात 11,27,220 टन हुआ, जबकि एक साल पहले इसी महीने में
आयात 11,33,893 टन था।
कांडला पोर्ट पर सीपीओ (क्रूड पाम तेल) का
दाम शुक्रवार को 757 डॉलर प्रति टन (सीआईएफ) था वहीं, मलेशिया से आयातित
आरबीडी पामोलिन का दाम 782 डॉलर प्रति टन, सोया डेग्यूम का भाव 878 डॉलर
प्रति टन और सूर्यमुखी क्रूड का भाव 847 डॉलर प्रति टन था।
केंद्रीय
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पिछले सप्ताह जारी बुवाई के
आंकड़ों के अनुसार, इस साल तिलहन फसलों का रकबा देशभर में 68.24 लाख
हेक्टेयर हुआ है जोकि पिछले साल से 2.47 लाख हेक्टेयर कम है।
वहीं,
बीते खरीफ सीजन में प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन का उत्पादन देश में पिछले साल
से तकरीबन 18 फीसदी कम रहने का अनुमान है। सोयाबीन प्रोसर्स एसोसिएशन ऑफ
इंडिया (सोपा) के अनुमान के अनुसार, देश में इस साल सोयाबीन का उत्पादन
89.94 लाख टन है जोकि पिछले साल के उत्पादन 109.33 लाख टन से 71.73 फीसदी
कम है। (आईएएनएस)
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