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आम के न‍िर्यात से यूपी के बागवानों को मिलेगा बेहतर दाम

Source : business.khaskhabar.com | Oct 25, 2024 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 up gardeners will get better prices from mango export 678817लखनऊ । उत्तर प्रदेश के आम उत्पादकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट में आम को समुद्री मार्ग से निर्यात करने की योजना शामिल की गई है। इससे प्रदेश के बागवानों को उनके आम के बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है।  

यूपी सरकार निर्यातकों के लिए वैश्विक मानकों के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है, जिससे यूपी के आम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आसानी से पहुंच सकें। केंद्र सरकार जिन 20 फलों और सब्जियों के समुद्री मार्ग से निर्यात के लिए पायलट प्रोजेक्ट तैयार कर रही है, उसमें आम भी शामिल है। ऐसे में आम के निर्यात की जो भी संभावना बनेगी, स्वाभाविक है कि उसका सबसे अधिक लाभ आम का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश के बागवानों को ही मिलेगा।

लखनऊ के रहमानखेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन की अगुआई में भी आम की गुणवत्ता सुधारने, यूरोपियन मार्केट की पसंद के अनुसार रंगीन प्रजातियों के विकास पर भी लगातार काम हो रहा है। अंबिका, अरुणिमा नाम की प्रजाति रिलीज हो चुकी है। अवध समृद्धि शीघ्र रिलीज होने वाली है। अवध मधुरिमा रिलीज की लाइन में है। निर्यात की बेहतर संभावना वाली इन प्रजातियों का सर्वाधिक फायदा भी यूपी के बागवानों को मिलेगा।

बागवानों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गोष्ठियों के जरिए लगातार जागरूक किया जा रहा। भारत-इजरायल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय गोष्ठी हाल ही संपन्न हुई। इसके पहले 21 सितंबर को आम की उपज और गुणवत्ता में सुधार की रणनीतियां और शोध प्राथमिकताएं विषय पर भी एक अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी हो चुकी है। यूएस और यूरोपीय देशों के निर्यात मानकों को पूरा करने के लिए सरकार जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास रेडिएशन ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करेगी। अभी तक उत्तर भारत में कहीं भी इस तरह का ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। इस तरह के ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ मुंबई और बेंगलुरु में है। इन्हीं दो जगहों के आम की प्रजातियों (अल्फांसो, बॉम्बे ग्रीन, तोतापुरी, बैगनफली) की निर्यात में सर्वाधिक हिस्सेदारी भी है।

यूपी में ट्रीटमेंट प्लांट न होने से वर्तमान में संबंधित देशों के निर्यात मानकों के अनुसार आम को ट्रीटमेंट के लिए पहले मुंबई या बेंगलुरु भेजा जाता है। ट्रीटमेंट के बाद फिर निर्यात कि‍या जाता है। इसमें समय और संसाधन की बर्बादी होती है। इसीलिए योगी सरकार पीपीपी मॉडल पर जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास रेडिएशन ट्रीटमेंट प्लांट लगाने जा रही है। ट्रीटमेंट प्लांट चालू होने पर उत्तर प्रदेश के आम बागवानों के लिए यूएस और यूरोपीय देशों के बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी। चूंकि उत्तर प्रदेश में आम का सबसे अधिक उत्पादन होता है, इसलिए निर्यात की किसी भी नए अवसर का सर्वाधिक लाभ भी यहीं के बागवानों को मिलेगा।

उत्पाद कम समय में एक्सपोर्ट सेंटर तक पहुंचे, इसके मद्देनजर एक्सप्रेस वे का संजाल बिछाया जा रहा है। पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे चालू हो चुके हैं। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का काम भी लगभग पूरा है। पुराने बागों की उपज और गुणवत्ता सुधारने के लिए आम के कैनोपी प्रबंधन की जरूरत होती है। इस काम में गतिरोध दूर करने के लिए योगी सरकार शासनादेश भी जारी कर चुकी है। वैज्ञानिक लगातार बागवानों को इस विधा से पुराने बागों का प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। कुछ समय बाद आम की उपज और गुणवत्ता पर इसका असर दिखेगा।

पिछले दिनों सीआईएसएच रहमानखेड़ा (लखनऊ) में आम पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी में इजरायल के वैज्ञानिक युवान कोहेन ने कहा भी था कि भारत को यूरोपीय बाजार की पसंद के अनुसार आम का उत्पादन करना चाहिए। आम के उत्पादन में भारत में यूपी नंबर एक है। देश के उत्पादन में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी एक तिहाई से अधिक है। लेक‍िन न‍िर्यात में यूपी की ह‍िस्‍सेदारी बहुत कम है।

वैश्विक बाजार में आम के निर्यात की अपार संभावना है। पिछले साल इनोवा फूड के एक प्रतिनिधिमंडल ने कृषि उत्पादन आयुक्त देवेश चतुर्वेदी से मुलाकात की थी। उन लोगों ने बताया कि यूएस और यूरोपीय बाजारों में चौसा और लंगड़ा आम की ठीक ठाक मांग है। उनके निर्यात के मानकों को पूरा किया जाय, तो उत्तर प्रदेश के लिए यह संभावनाओं वाला बाजार हो सकता है। मालूम हो कि ये दोनों प्रजातियां उत्तर प्रदेश में ही पैदा होती हैं।

--आईएएनएस

 


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