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तिलहनों के फ्यूचर ट्रेडिंग पर प्रतिबंध तुरंत हटाया जाए : मोपा

Source : business.khaskhabar.com | Dec 20, 2024 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 the ban on future trading of oilseeds should be lifted immediately mopa 690992सेबी ने कृषि जिंसों के कारोबार निलंबन को एक माह और बढ़ाया 

रामबाबू सिंघल की रिपोर्ट - 

जयपुर। सेबी द्वारा सात कृषि जिंसों के डेरिवेटिव अनुबंधों में कारोबार के निलंबन को एक माह और बढ़ाए जाने से कारोबारी जगत से मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है। गौरतलब है कि सिक्यूरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने हाल ही सात कृषि जिंसों के लिए डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट में व्यापार के निलंबन को 31 जनवरी 2025 तक बढ़ा दिया है। 

जारी अधिसूचना के अनुसार सात जिंसों जैसे गैर बासमती धान, गेहूं, चना, सरसों और उसके डेरिवेटिव, क्रूड पाम तेल और मूंग के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध 20 दिसंबर 2024 यानी आज समाप्त होना था। एक्सपायरी के ठीक एक दिन पहले प्रतिबंध को आगे बढ़ा दिया गया है। 

मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूशर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (मोपा) के संयुक्त सचिव अनिल चतर ने कहा कि सेबी को सात जिंसों खासकर तिलहनों पर लगाए गए प्रतिबंधों को तुरंत प्रभाव से रोक हटा लेनी चाहिए। सरसों, सोयाबीन और पाम ऑयल आदि पर फ्यूचर ट्रेडिंग बंद होने से कारोबारियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

चतर ने बताया कि विदेशों में फ्यूचर ट्रेडिंग पर कोई रोक नहीं है। हमें विदेशों के भावों पर निर्भर रहना पड़ता है। लिहाजा सेबी से अनुरोध है कि व्यापारियों के हित में कृषि जिंसों के डेरिवेटिव अनुबंधों में कारोबार को निलंबन से तुरंत मुक्त किया जाए। 

निरंतर गिर रही सरसों की कीमतेंः 

नेशनल ऑयल एंड ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज मुरारका ने सेबी द्वारा कृषि जिंसों के फ्यूचर ट्रेडिंग पर प्रतिबंध को सही ठहराया है। मुरारका ने कहा कि यह वर्ष 2021 के अगस्त एवं अक्टूबर माह में बंद किया गया था। तब से आज तक हमें व्यापार करने में कोई परेशानी नहीं हुई है, बल्कि स्पेक्यूलेटिंग पर विराम लगा है। अन्य कारोबारियों का कहना है कि इस बार कारोबार के निलंबन को सिर्फ एक माह बढ़ाया गया है। इससे उम्मीद जगी है कि कुछ कृषि जिंसों को छोड़कर वायदा कारोबार निकट भविष्य में फिर से शुरू हो सकता है। 
व्यापारियों के मुताबिक डेरिवेटिव ट्रेडिंग को प्रतिबंधित करने के लिए नियामक को भी दोषी ठहराया जाना चाहिए था और उसे मार्जिन और सर्किट ब्रेकर के मामले में और अधिक सख्त होना चाहिए था। हालांकि अब घरेलू बाजारों में तिलहन की कीमतें गिर गई हैं तो वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने से कीमतों को जरूरी सहारा मिल सकता है। सरसों मिल डिलीवरी 42 प्रतिशत तेल कंडीशन जयपुर मंडी में और नीचे आकर शुक्रवार को 6250 रुपए प्रति क्विंटल रह गई है।

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