businesskhaskhabar.com

Business News

Home >> Business

इस्पात क्षेत्र में 2021 में उछाल के साथ मजबूत वृद्धि की उम्मीद

Source : business.khaskhabar.com | Mar 31, 2021 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 steel sector to bounce back to robust growth in 2021 473793नई दिल्ली। वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण सभी उद्योगों पर विपरीत असर पड़ा है। इसके बाद अब भारतीय इस्पात उद्योग को 2021 में मजबूत विकास के दौर में वापस लौटने की उम्मीद है। इस्पात (स्टील) को एक आवश्यक वस्तु माना जाता है, क्योंकि यह विनिर्माण उद्योग की रीढ़ है। निर्माण, ऑटोमोबाइल और घरेलू वस्तुओं के क्षेत्रों में पहले से ही मांग में रिकवरी दिखाई दे रही है। यह 2021 की पहली छमाही में जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि पेंट-अप की मांग भी पूरी होगी।

निर्माण क्षेत्र, जिसमें बुनियादी ढांचा और रियल एस्टेट दोनों शामिल हैं, कुल स्टील मांग का लगभग 62 प्रतिशत योगदान देता है। ये दोनों सब-सेगमेंट मांग पुनरुद्धार के गवाह हैं, जिसके 2021 में मजबूत होने की उम्मीद है, विशेष रूप से जब सरकार अपने पर्स स्ट्रिंग्स (बटुये की डोरियां) को ढीला कर रही है और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर अधिक खर्च कर रही है।

ऑटोमोबाइल क्षेत्र का योगदान नौ प्रतिशत है, जबकि उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के क्षेत्र का योगदान छह प्रतिशत है। वर्ष की दूसरी छमाही में विकास में थोड़ी वृद्धि होने की उम्मीद है, लेकिन स्टील का उपयोग करने वाले उद्योगों में एक अच्छी मांग देखने को मिलेगी, जो भारतीय इस्पात क्षेत्र के लिए अच्छी खबर है।

भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) के उप-महासचिव और अर्थशास्त्री अर्नब हाजरा ने एक बयान में कहा, "तैयार स्टील की खपत 2019 में 10.26 करोड़ टन तक पहुंच गई थी। हमने 2020 में स्टील की मांग में 20.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 8.19 करोड़ टन रहने की भविष्यवाणी की थी। हालांकि, अब 2021 में हम स्टील की मांग में एक मजबूत उछाल की उम्मीद कर रहे हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि स्टील की मांग में लगभग 22 प्रतिशत की वृद्धि होगी और एक बार फिर से यह 10 करोड़ टन की खपत के निशान को छू लेगा। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था और आर्थिक विकास में रिकवरी हो रही है, पूंजीगत वस्तुओं, निर्माण मशीनरी, खनन उपकरण और विद्युत मशीनरी से स्टील की मांग में मजबूत सुधार की उम्मीद है।"

पूंजीगत सामान, निर्माण मशीनरी, विद्युत मशीनरी और खनन उपकरण जैसे क्षेत्र स्टील के उपयोग में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान करते हैं। रेलवे, जो एक महत्वपूर्ण इस्पात क्षेत्र है, उसमें पिछले कुछ वर्षों में सबसे मजबूत वृद्धि देखी है। यह वृद्धि की प्रवृत्ति 2021 में जारी रहने की संभावना है। हालांकि, धन की कमी नई परियोजनाओं को रोक सकती है और इस तरह इस क्षेत्र में पारंपरिक रूप से देखी जाने वाली इस्पात की मांग को कम कर सकती है। भारत के समग्र इस्पात उपयोग में रेलवे का योगदान लगभग सात प्रतिशत है।

शेष छह प्रतिशत का योगदान मध्यस्थ या पैकेजिंग क्षेत्र द्वारा किया जाता है और यह ऑटो सेक्टर और निर्यात दोनों पर निर्भर करता है। इस क्षेत्र में मांग की बात की जाए तो इसमें 2019 के लगभग 60 लाख टन के स्तर को छूने की संभावना है।

जबकि यह काफी हद तक माना जाता है कि भारत में अन्य उद्योगों की तरह इस्पात उद्योग को 69 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस अवधि के दौरान ब्लास्ट फर्नेस मार्ग का उपयोग करने वाली इस्पात कंपनियों ने कभी उत्पादन नहीं रोका। ब्लास्ट फर्नेस या ब्लास्ट ऑक्सीजन फर्नेस रूट का उपयोग करने वाले बड़े और एकीकृत स्टील उत्पादकों को अंधाधुंध तरीके से बंद नहीं किया जा सकता है। इन ब्लास्ट फर्नेस को फिर से शुरू करने के साथ-साथ बंद करने में भारी लागतें शामिल हैं। इसलिए बड़े स्टील दिग्गजों को लॉकडाउन के दौरान भी स्टील का उत्पादन जारी रखना पड़ा। शुक्र है कि चीनी बाजार से मांग बनी रही, जो कि सफल साबित हुई।

भारत सरकार में स्टील मामलों की पूर्व सचिव डॉ. अरुणा शर्मा ने एक बयान में कहा, "2020-21 के बजट ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। स्टील और सीमेंट बुनियादी ढांचे के लिए प्रमुख इनपुट हैं। जनरल फाइनेंशियल रूल्स (जीएफआर) में 'जीवनचक्र' की अवधारणा के साथ, सरकारी खचरें में बदलाव 100 वर्षों के जीवन काल और नगण्य रखरखाव में इस्पात संरचनाओं पर अधिक है। सात वर्षों में स्टील की प्रति व्यक्ति खपत 46 किलोग्राम से 57 किलोग्राम हो गई है। यह 2016 से केवल चार वर्षों में बढ़कर 74 किलोग्राम हो गई है। भारत को एक कम बुनियादी ढांचा देश होने के नाते, 2030 तक बहुत सारे ढांचे बनाने की आवश्यकता है और खपत को प्रति व्यक्ति 160 किलोग्राम तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इस प्रकार खपत परि²श्य अपस्केल है। इस्पात के निर्माण के साथ कोयला खदानों के उद्घाटन, लौह अयस्क खदानों के संचालन के साथ ही कोयले की कीमतें स्थिर हो रही हैं, ऐसे में सभी इस्पात निर्माताओं की विस्तार को लेकर योजनाएं हैं। इस प्रकार स्टील विनिर्माण क्षमता तीन वर्षों में 14.2 करोड़ टन से बढ़कर 17.5-20 करोड़ टन हो जाएगी और इसमें 30 करोड़ टन की वृद्धि होगी।"

इस्पात की मांग में एक पुनरुद्धार के संकेत और क्षमता के उपयोग में सुधार के साथ, कोविड-19 के प्रभाव से इस्पात क्षेत्र पर किसी भी प्रकार का प्रभाव होने की संभावना नहीं है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में भी चलन में रहा है। चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक है, उसकी ओर से पहली बार एक अरब मीट्रिक टन का आंकड़ा पार करने की संभावना है। (आईएएनएस)

[@ इस मंदिर में लक्ष्मी माता के आठ रूप]


[@ आलोचक अपना काम कर रहे हैं उन्हें करने दीजिए: धवन]


[@ विज्डन की टेस्ट व वनडे टीम में कोहली सहित 4 भारतीय शामिल, पाक खिलाड़ी नहीं बना सके जगह]