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अगले साल बढ़ सकती है भारतीय चीनी की मांग

Source : business.khaskhabar.com | Jun 04, 2018 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 may increase next year demand for indian sugar 318355नई दिल्ली। चीनी का वैश्विक उत्पादन अगले साल घटने से भारत को चीनी के अपने उत्पादन आधिक्य को दुनिया के बाजारों में खपाने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, दुनिया के सबसे बड़े चीनी की खपत वाला देश चीन में सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता ब्राजील से आयात नहीं होने से उसकी दिलचस्पी भारतीय बाजार में बढ़ सकती है। इसका संकेत शुक्रवार को भारतीय चीनी उद्योग द्वारा चीन की राजधानी बीजिंग में करवाए गए सेमिनार में देखने को मिला। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक, सेमिनार में चीन की 25 कंपनियों ने हिस्सा लिया।

इस्मा के प्रेसिडेंट गौरव गोयल ने बीजिंग में बताया कि भारत चीन को 15 लाख टन चीनी बेच सकता है।

अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की पिछले महीने की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले साल 2018-19 में चीनी का वैश्विक उत्पादन इस साल के मुकाबले 40 लाख टन घटकर 18.8 करोड़ टन रहने का अनुमान है। हालांकि वर्ष 2017-18 में चीनी का वैश्विक उत्पादन 19.18 करोड़ टन है, जोकि पिछले साल के मुकाबले 68 लाख टन ज्यादा है।

यूएसडीए के मुताबिक, इस साल भारत में चीनी का उत्पादन 324 लाख टन है जबकि अगले साल 2018-19 में 140 लाख टन बढक़र 338 लाख टन रह सकता है। हालांकि भारत के उद्योग संगठनों का अनुमान है कि इस साल 320-325 लाख टन चीनी का उत्पादन है और अगले साल भी इतना ही रह सकता है।  

देश की सहकारी मिलों का संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि वैश्विक उत्पादन कम होने से भारत को अपनी चीनी दुनिया के बाजारों में खपाने में मदद मिल सकती है मगर यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी का मूल्य भारत की चीनी के लिए प्रतिस्पर्धी है या नहीं, क्योंकि अभी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमत भारत के मुकाबले कम है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे यहां गन्ने का दाम ज्यादा होने से मिलों की लागत बढ़ जाती है। इस साल चीनी मिलों को घरेलू बाजार में उत्पादन लागत के मुकाबले चीनी का दाम कम होने से मिलों को नुकसान हुआ है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार की ओर से निर्यात में प्रोत्साहन मिलने से निस्संदेह हम अपनी चीनी विदेशी बाजार में बेच सकते हैं।’’

यूएसडीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विपणन वर्ष 2018-19 में चीनी का वैश्विक भंडार 4.9 करोड़ टन से ज्यादा रहेगा क्योंकि भारत और थाईलैंड में उत्पादन नया रिकॉर्ड बना सकता है।

पाकिस्तान में निर्यात अनुदान को आगे जारी नहीं रखने से स्टॉक बढ़ेगा जबकि चीन में आयात को नियंत्रित रखने के उपायों से स्टॉक में कमी रहेगी।

यूएसडीए के मुताबिक अगले साल ब्राजील, पाकिस्तान और यूरोप में उत्पादन कम रहने का अनुमान है जिसकी भरपाई भारत और थाईलैंड से नहीं हो सकता है।

वर्ष 2018-19 में अमेरिका में चीनी का उत्पादन 2.9 फीसदी घटकर 81 लाख टन रह सकता है और दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश ब्राजील में उत्पादन 47 लाख टन घटकर 3.42 करोड़ टन रह सकता है क्योंकि चीनी का दाम दुनिया के बाजार में कम होने से वहां ज्यादा से ज्यादा गन्ने का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने में हुआ है।

ब्राजील का चीनी निर्यात घटकर 336 लाख टन रह सकता है और उसकी बाजार हिस्सेदारी 14 साल के निचले स्तर पर 38 फीसदी रह सकता है। हालांकि स्टॉक और खपत में कोई परिवर्तन नहीं आएगा।

यूएसडीए के मुताबिक, अगले साल यूरोप में चीनी का उत्पादन 8.5 लाख टन घटकर 203 लाख टन रह सकता है और निर्यात सात लाख टन घटकर 30 लाख टन रह सकता है। हालांकि आयात और खपत में कोई बदलाव नहीं आएगा मगर स्टॉक घटकर तीन साल के निचले स्तर पर होगा।

अमेरिकी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन में लगातार तीसरे साल उत्पादन बढक़र 108 लाख टन होने की उम्मीद है क्योंकि वहां बीट का रकबा बढ़ गया है। चीन ने चीनी के बड़े आपूर्तिकर्ता देशों से आयात सीमित कर दिया है जिससे ब्राजील से उसका आयात घट गया है। चीन में चीनी की खपत अगले साल 157 लाख टन रहने की उम्मीद है।

अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार (लंदन) में शुक्रवार को सफेद चीनी-5 का अगस्त वायदा 359.30 डॉलर प्रति टन था। जबकि अमेरिकी वायदा बाजार (न्यूयार्क)में कच्ची चीनी-11 का जुलाई वायदा 12.50 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ।

व्यापारिक सूत्रों के मुताबिक, पिछले 15-20 दिनों में घरेलू बाजार में चीनी के दाम में करीब 250-300 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा हुआ है। महाराष्ट्र में चीनी का एक्स मिल रेट शुक्रवार को 2800-3000 रुपये प्रति क्विंटल था।

घरेलू बाजार में चीनी के भाव में आया यह सुधार सरकार द्वारा चीनी की न्यूनतम कीमत (फ्लोर प्राइस) तय करने पर विचार करने की खबर के बाद हुई है। चीनी उद्योग संगठनों ने सरकार से न्यूनतम कीमत तय करने के अलावा बफर स्टॉक करने की भी मांग की है।
(आईएएनएस)

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