एथेनॉल में गन्ने की खपत बढ़ने से गुड़ में और तेजी के संकेत
Source : business.khaskhabar.com | May 16, 2024 | 
-उत्तर प्रदेश की मंडियों में भी गुड़ की आवक का दबाव समाप्त हो चुका है
-नया गुड़ आने में लगभग पांच माह का समय बाकीजयपुर(रामबाबू सिंघल)। एथेनॉल में गन्ने की खपत बढ़ने तथा उत्पादन कम होने से गुड़ में फिलहाल मंदी के आसार समाप्त हो गए हैं। बारिश की कमी के चलते चालू पेराई सत्र में गन्ने का उत्पादन पूर्व वर्ष के मुकाबले करीब 20 फीसदी कम होने का अनुमान है। इसे देखते हुए गुड़ में और तेजी के आसार बन सकते हैं। जानकारों का कहना है कि एथेनॉल में बढ़ती खपत को देखते हुए ऐसा आभास हो रहा है कि आगे चलकर वर्तमान भाव के गुड़ में भरपूर लाभ मिलेगा। गुड़ बनने का सीजन लगभग समाप्त हो चुका है। ध्यान रहे पिछले साल गन्ने के उत्पादन में 4 प्रतिशत की कमी आई थी। परिणामस्वरूप कोल्ड स्टोरों में गुड़ का पुराना स्टॉक कम बचा था। वहीं इसकी खपत एथेनॉल में बढ़ी है। फलस्वरूप पाइप लाइन में नए एवं पुराने माल की उपलब्धि कम है। बता दें इस साल गुड़ का अधिक स्टॉक नहीं हुआ है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर मंडी में प्रतिदिन करीब 3 हजार कट्टे गुड़ आ रहा है, जो कि गत वर्ष के मुकाबले कम है। इस बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत, बड़ौद, शामली, सहारनपुर, सरसावा के साथ-साथ हापुड़, मेरठ, परतापुर तथा मोहिउद्दीनपुर सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश की मंडियों में भी गुड़ की आवक का दबाव समाप्त हो चुका है। उधर मध्य प्रदेश में कम मिठास वाले गुड़ की आपूर्ति भी इस बार कम हो रही है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र की मंडियों में भी नए गन्ने का आवक दबाव पिछले साल की तुलना में कम है।
इस साल 65 लाख टन गुड़ उत्पादन का अनुमानइन सभी कारणों को देखते हुए पिछले साल 78 लाख टन गुड़ उत्पादन के मुकाबले इस बार करीब 65 लाख टन से अधिक की संभावना नहीं है। जानकारों का कहना है कि एक तरफ गन्ने की अतिरिक्त खपत एथेनॉल में बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर सीजन खत्म हो चुका है। जिससे उत्पादन समाप्त हो गया है। नई फसल आने में पांच माह का समय बाकी है। लिहाजा गुड़ में और तेजी से इन्कार नहीं किया जा सकता।
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