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भारत में स्टोरेज-बैक्ड रिन्यूएबल एनर्जी की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी वित्त वर्ष 2027-28 तक बढ़कर 25-30 गीगावाट हो जाएगी : रिपोर्ट

Source : business.khaskhabar.com | May 15, 2025 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 indias installed capacity of storage backed renewable energy to grow to 25 30 gw by fy2027 28 report 722235नई दिल्ली। क्रिसिल रेटिंग्स की बुधवार को जारी  रिपोर्ट के अनुसार, भारत में स्टोरेज-बैक्ड रिन्यूएबल एनर्जी (आरई) की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी वित्त वर्ष 2027-28 तक बढ़कर 25-30 गीगावाट (जीडब्ल्यू) हो जाने की संभावना है, जो 2024-25 के दौरान लगभग शून्य है। 
रिपोर्ट में कहा गया है कि वृद्धिशील क्षमता तीन वर्षों में जोड़ी जाने वाली कुल रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता का 20 प्रतिशत से अधिक होगी।
स्टोरेज-बैक्ड आरई प्रोजेक्ट रिन्यूएबल एनर्जी जनरेशन की रुक-रुककर होने वाली प्रकृति के लिए एक प्रभावी समाधान प्रदान करती हैं।
ऐसे प्रोजेक्ट आवश्यकता पड़ने पर बिजली की आपूर्ति करते हैं, जिससे ग्रिड स्थिरता को सपोर्ट मिलता है।
उदाहरण के लिए ये प्रोजेक्ट मासिक या प्रति घंटे के शेड्यूल पर या सुबह और शाम के पीक घंटों में ग्रीन पावर प्रदान कर सकते हैं।
सरकार इन प्रोजेक्ट पर जोर दे रही है ताकि रिन्यूएबल एनर्जी को देश के बिजली मिश्रण का एक स्थायी हिस्सा बनाया जा सके।
हाल ही में टेंडर नीलामी में इन प्रोजेक्ट की उच्च मात्रा में जोर देखा गया, जो कैलेंडर वर्ष 2024 में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा टेंडर के माध्यम से दी गई कुल क्षमता का लगभग 25 प्रतिशत (या 11 गीगावाट) है, जबकि कैलेंडर वर्ष 2023 में यह 11 प्रतिशत (या 2.5 गीगावाट) है।
हाई-एनर्जी आवश्यकताओं को देखते हुए इन प्रोजेक्ट को कॉन्ट्रैक्टेड कैपेसिटी के 2.5 गुना तक औसत ओवरसाइज़िंग की आवश्यकता है। इसके परिणामस्वरूप लगभग 34 गीगावाट की संचयी कैपेसिटी पाइपलाइन बन गई है।
हालांकि, इन टेंडर के माध्यम से प्रदान की गई लगभग पूरी क्षमता या तो विकास के चरण में है या निर्माण के प्रारंभिक चरण में है, जिससे प्रोजेक्ट शुरू होने में निहित जोखिम उत्पन्न होते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रोजेक्ट में जोखिम आम तौर पर ऑफटेक समझौते, फंडिंग और निष्पादन में देरी के रूप में सामने आते हैं। लेकिन, हमें लगता है कि कमीशनिंग के लिए जोखिम कम से कम मध्यम होंगे, खासकर ऑफटेक और फंडिंग जोखिम कम होंगे। इसके अलावा, डेवलपर्स का सक्रिय दृष्टिकोण, विशेष रूप से भूमि और कनेक्टिविटी आवश्यकताओं के प्रति, निर्माण जोखिमों को सीमित करने में मदद करेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, फंडिंग की उपलब्धता भी कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी, क्योंकि प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद नकदी प्रवाह की अच्छी संभावना के साथ-साथ 25-वर्षीय पीपीए के माध्यम से लॉन्ग-टर्म रेवेन्यू विजिबिलिटी से ऋणदाताओं की रुचि बढ़ेगी।
क्रिसिल रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर अंकुश त्यागी ने कहा कि "आखिरकार, निर्माण से संबंधित निष्पादन जोखिम कम से मध्यम प्रतीत होते हैं। डेवलपर्स से हमारी समझ के आधार पर, कैलेंडर वर्ष 2024 में प्रदान की गई क्षमताओं में से लगभग 70 प्रतिशत ने बोली में भाग लेने से पहले आवश्यक महत्वपूर्ण संसाधनों मुख्य रूप से भूमि और ग्रिड कनेक्टिविटी, की पहचान कर ली है या उन्हें सुरक्षित कर लिया है। यह उनके लिए फायदेमंद साबित होगा।"
--आईएएनएस
 

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