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चीन का पलटवार, अमेरिकी आयातों पर 34 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया, शुरू हो सकता है 'ट्रेड वार'

Source : business.khaskhabar.com | Apr 05, 2025 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 china retaliates imposes 34 percent additional tariff on us imports trade war may begin 713242बीजिंग । चीन ने 10 अप्रैल से अमेरिका से आयात किए जाने वाले सभी उत्पादों पर अतिरिक्त 34 प्रतिशत टैरिफ लगाने का फैसला किया है, जिससे व्यापार युद्ध पूरी तरह से भड़कने का खतरा है। चीन की कस्टम्स टैरिफ कमीशन ने शुक्रवार को यह ऐलान किया।  
यह कदम अमेरिकी निर्णय के बाद उठाया गया, जिसमें वाशिंगटन ने चीन के निर्यातों पर 'पारस्परिक टैरिफ/ रेसिप्रोकल टैरिफ' लगाने की घोषणा की।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, चीन की कस्टम्स टैरिफ कमीशन ने कहा कि अमेरिकी कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के अनुरूप नहीं है, यह चीन के वैध अधिकारों और हितों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है और यह एकतरफा दबाव बनाने की कार्रवाई है।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि वह 11 अमेरिकी कंपनियों को अपनी 'अविश्वसनीय संस्थाओं' की सूची में जोड़ रहा है, जिससे वे चीन में या चीनी कंपनियों के साथ व्यापार नहीं कर पाएंगी। 
मंत्रालय ने कुछ दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (रेयर अर्थ मटेरियल), जैसे गेडोलिनियम और यट्रियम, के निर्यात पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जो मुख्य रूप से चीन में खनन किए जाते हैं और इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्मार्ट बमों तक में इस्तेमाल होते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 54 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जिसमें पहले से लगाए गए शुल्क भी शामिल हैं। इसने चीन को टैरिफ सूची में सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक बना दिया।
वैश्विक निवेश बैंक जेपी मॉर्गन ने कहा कि अब 2025 के अंत तक वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने का 60 प्रतिशत मौका देखा जा रहा है, जो पहले 40 फीसदी था। 
विश्लेषकों के अनुसार, यूएस द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ निश्चित रूप से सभी देशों को प्रभावित करेंगे, लेकिन भारतीय निर्यातक अधिक लाभ उठा सकते हैं क्योंकि चीन को 65 फीसदी या उससे अधिक की उच्च शुल्क का सामना करना पड़ेगा।
भारत के लिए अतिरिक्त 27 प्रतिशत टैरिफ इसे लक्षित देशों के निचले आधे हिस्से में रखता है, जिससे पारंपरिक निर्यात क्षेत्रों जैसे इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न और आभूषण, वस्त्र और परिधान के अलावा नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं। 
टैरिफ उन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मकता को भी भारत के पक्ष में स्थानांतरित कर सकते हैं जहां अन्य क्षेत्रीय निर्यातक अधिक गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस लाभ को अधिकतम करने के लिए भारत को न केवल अमेरिका के साथ बाजार पहुंच बनाए रखने के लिए बातचीत करनी होगी, बल्कि एशिया में अपने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) साझेदारों के साथ आपूर्ति श्रृंखलाओं को पुनर्गठित करने के लिए भी सहयोग करना होगा और नए अवसरों का लाभ उठाना होगा।
--आईएएनएस

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