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भारत के लिए अमेरिका से ट्रेड डील पर बातचीत का रास्ता अभी भी खुला: अर्थशास्त्री

Source : business.khaskhabar.com | July 31, 2025 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 the way is still open for india to negotiate a trade deal with the us economist 740758
नई दिल्ली, । राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माना लगाने के फैसले के बावजूद अभी भी देश के लिए अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर बातचीत करने का रास्ता खुला हुआ है। यह जानकारी अर्थशास्त्री द्वारा दी गई।  
अर्थशास्त्री त्रिन्ह गुयेन के अनुसार, ट्रंप का टैरिफ संबंधी कदम बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है।
गुयेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "क्या यह आश्चर्यजनक है? बिल्कुल नहीं। मैं एक हफ्ते से सोच रहा था कि अमेरिका-भारत समझौता कैसा होगा और सच कहूं तो, मुझे इसका अंदाजा था। मुझे लगता है कि भारत इस खतरे से निपटने के लिए बातचीत कर सकता है। यह अंतिम नहीं है, लेकिन कितना कम हो सकता है, देखना होगा ?"
अमेरिका की ओर से टैरिफ ऐलान के बाद भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा, जैसा कि ब्रिटेन के साथ हुए हालिया व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते सहित अन्य व्यापार समझौतों के मामले में हुआ है।
अर्थशास्त्री ने कहा कि यह ट्रंप की सोची-समझी धमकी है, यह उनके पिछले कार्यकाल में जापान के साथ उनकी रणनीति की याद दिलाती है।
उन्होंने कहा, "यह एक जानी-पहचानी रणनीति है। एक कठोर आंकड़ा पेश करो, दबाव बनाओ, फिर उसे कम करने के लिए बातचीत करो।"
उन्होंने आगे कहा, "ट्रंप के कुछ एजेंडे हैं जिनमें वह भारत या प्रधानमंत्री मोदी की मदद चाहते हैं। यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना उनमें से एक है और भारत इसमें दिलचस्पी नहीं रखता। यह एक उभरता हुआ देश है और तेल जहां सबसे सस्ता मिल सकता है, वहां से खरीदता है। रूसी तेल सबसे सस्ता है, इसलिए वह रूस से खरीदता है और ट्रंप रूस की तेल आय को कम करना चाहते हैं।"
गुयेन के अनुसार, यूरोपीय संघ और जापान को भी आंशिक राहत मिली है, जहां ऑटोमोबाइल जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है। 
उन्होंने आगे कहा, "भारत के लिए, 15 प्रतिशत सबसे अच्छी स्थिति हो सकती है।"
दूसरी चीज जो ट्रंप चाहते हैं, वह यह शेखी बघारना है कि उन्होंने भारत के विशाल बाजार को अमेरिकी निर्यातकों के लिए खोल दिया है, जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद है।
उन्होंने आगे कहा, “भारत-ब्रिटेन समझौता दर्शाता है कि भारत खुल रहा है, लेकिन वह इसे अपनी गति से कर रहा है। यानी, बहुत धीरे-धीरे और उन क्षेत्रों में जहां उसे लगता है कि उसे संरक्षण की जरूरत नहीं है जैसे अल्ट्रा-लग्जरी और वह भी बहुत कम कोटा के साथ। 
उन्होंने आगे कहा कि यह ब्रिटेन को दिए गए से थोड़ा ज्यादा दे सकता है, लेकिन ब्रिटेन का समझौता इस बात का मानक है कि घरेलू ऑटो बाजार सुरक्षित रहेंगे।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, टैरिफ में किसी भी बढ़ोतरी का व्यापक आर्थिक प्रभाव देश के घरेलू बाजार के बड़े आकार से कम हो जाएगा।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत की निर्यात क्षमता अंततः चीन जैसे अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में भारत पर लगने वाले टैरिफ की मात्रा पर भी निर्भर करती है।
--आईएएनएस
 

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