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यूक्रेन से सूरजमुखी तेल की आवक प्रभावित,सरसों तेल से पूरी होगी घरेलू मांग

Source : business.khaskhabar.com | Mar 03, 2022 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 sunflower seeds import from ukraine affected domestic market banks on mustard 507366नयी दिल्ली। इस साल सरसों की फसल अच्छी होने की संभावना से उत्साहित तेल कारोबारियों का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी भीषण का बहुत थोड़ा ही असर घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतों पर दिखेगा।

हालांकि, तेल कारोबारियों ने सरकार से मांग की है कि तेल की कीमतों में तेजी पर लगाम लगाने के लिये सोया तेल निकालने वाले संयंत्र पूरी क्षमता में काम करें।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और इनकी कीमत में 200 डॉलर की तेजी देखी गयी है।

कारोबारियों का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात तो प्रभावित हुआ है लेकिन घरेलू बाजार में इसकी कमी अपेक्षाकृत कम ही दिखेगी।

भारत यूक्रेन के अलावा रूस से भी सूरजमुखी तेल का आयात करता है। भारत में 60,000 से 75,000 टन के बीच सूरजमुखी बीज का उत्पादन होता है लेकिन फिर भी यूक्रेन से आयातित सूरजमुखी बीज की कम कीमत के कारण वहां से भारी मात्रा में इसका आयात किया जाता है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू बाजार में सूरजमुखी तेल की खुदरा कीमत दो मार्च को 159.07 रुपये प्रति किलोग्राम थी जबकि एक मार्च को इसकी कीमत 158.06, 28 फरवरी को 156.66, 27 फरवरी को 152.54 और 26 फरवरी को 152.30 रुपये थी। एक माह पहले सूरजमुखी तेल की खुदरा कीमत 151.08 रुपये, एक माह पहले 149.42 रुपये और एक साल पहले 149.97 रुपये प्रति किलोग्राम थी।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू बाजार में सूरजमुखी तेल की थोक कीमत दो मार्च को 15,357.69 रुपये प्रति क्विं टल थी जबकि एक मार्च को इसकी कीमत 15,291.27, 28 फरवरी को 15,108.29, 27 फरवरी को 14,791.29 और 26 फरवरी को 14,673.88 रुपये थी। एक माह पहले सूरजमुखी तेल की थोक कीमत 14,497.07 रुपये, एक माह पहले 14,171.46 रुपये और एक साल पहले 14,517.91 रुपये प्रति क्विं टल थी।

सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड के अध्यक्ष सुरेश नागपाल ने कहा कि यूक्रेन से भले ही खाद्य तेल की खेप नहीं आ रही है लेकिन शुक्र है कि भारत में 40 से 45 दिन का तेल भंडार है।

नागपाल ने कहा, इस साल देश में सरसों की रिकॉर्ड पैदावार होने का अनुमान है और यह बाजार में खाद्य तेल की कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। वास्तव में 15 मार्च के बाद हर महीने तीन से चार लाख टन सरसों तेल उपलब्ध रहेगा।

कारोबारी संगठन ने साथ ही यह भी कहा कि तेल की कमी को पूरा करने के लिये सोया की पेराई करने वाले संयंत्रों का पूरी क्षमता से काम करना जरूरी है। सरकार को इसके लिये सोया निर्यात में कुछ प्रोत्साहन देना चाहिये ताकि संयंत्र पूरी क्षमता के साथ काम कर सकें।

केंद्र सरकार ने गत तीन फरवरी को खाद्य तेलों की भंडार सीमा अवधि 30 जून तक बढ़ाने के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। खुदरा व्यापारियों के लिये भंडारण सीमा 30 क्विं टल, थोक व्यापारियों के लिये 500 क्विं टल, बड़े रिटेलरों की दुकानों की श्रृंखला के लिये 30 क्विं टल और उनके डिपो के लिये 1,000 क्विं टल तय की गयी है।

तिलहनों के संबंध में खुदरा व्यापारियों की भंडारण सीमा 100 क्विं टल और थोक व्यापारियों के लिये 2,000 क्विं टल है। तिलहनों का प्रसंस्करण करने वालों के लिये उत्पादित खाद्य तेल का भंडारण 90 दिनों तक किया जा सकता है, जो प्रतिदिन के हिसाब से उत्पादन क्षमता पर निर्भर होगा। निर्यातकों और आयातकों को कुछ शर्तों के साथ इस आदेश के दायरे से बाहर रखा गया है।

उल्लेखनीय है कि भारत हर माह करीब दो लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है और कभी-कभी यह आंकड़ा तीन लाख टन तक भी पहुंच जाता है। भारत अपनी जरूरत का करीब 60 प्रतिशत खाद्य तेल आयात करता है और वैश्विक पटल पर किसी भी हलचल का प्रभाव इस पर पड़ता है।

भारत में आयातित सूरजमुखी तेल का 70 फीसदी हिस्सा यूक्रेन का, 20 प्रतिशत रूस का और 10 प्रतिशत अजेर्टीना का होता है। यूक्रेन करीब 170 लाख टन, रूस करीब 155 लाख टन और अर्जेटीना करीब 35 लाख टन सूरजुमखी के बीज का उत्पादन करता है। पेराई के दौरान इन बीजों के वजन का करीब 42 प्रतिशत तेल निकलता है। (आईएएनएस)

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