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Overview 2025 : सरकारी प्रोत्साहन और निजी कंपनियों की भागीदारी से 2025 में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को मिली नई रफ्तार

Source : business.khaskhabar.com | Dec 30, 2025 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 overview 2025 government incentives and private sector participation give indian space sector a new momentum in 2025 780093नई दिल्ली । भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में साल 2025 के दौरान तेज विकास देखने को मिला। इसके पीछे सरकार की नीतियां और सरकारी-निजी कंपनियों की साझेदारी सबसे बड़ी वजह रही। यह जानकारी इंडियन स्पेस एसोसिएशन (आईएसपीए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एके. भट्ट ने दी। 
भट्ट ने कहा कि 2025 भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक अहम साल साबित हुआ। इस साल नई नीतियों को जमीन पर लागू किया गया, जिससे सैटेलाइट बनाने, लॉन्च करने, पृथ्वी की तस्वीरें लेने, अंतरिक्ष डेटा और सैटेलाइट संचार जैसे क्षेत्रों में काम आगे बढ़ा।
उन्होंने कहा कि 2025 में ज्यादातर विकास निजी कंपनियों के कारण हुआ। इस दौरान कई कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट्स मिले, फैक्ट्रियां बनीं, सैटेलाइट लॉन्च हुए और लॉन्च व्हीकल तैयार होने के करीब पहुंचे। अंतरिक्ष से जुड़ी सेवाएं आम लोगों, व्यापार और सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में भी बढ़ीं।
भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था इस समय लगभग 9 अरब डॉलर की है और आने वाले 10 वर्षों में इसके 44 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
वर्ष 2025 में अंतरिक्ष क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी कंपनियों की साझेदारी काफी महत्वपूर्ण रूप से उभरी है। अभी वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी करीब 2 प्रतिशत है, जो 2033 तक बढ़कर लगभग 8 प्रतिशत हो सकती है। इसमें निजी कंपनियों की बड़ी भूमिका होगी।
भट्ट ने कहा कि नई अंतरिक्ष नीति 2023, एफडीआई नीति 2024 में ढील और भारतीय दूरसंचार अधिनियम 2023 के लागू होने से निजी निवेशकों को भरोसा मिला और लंबी अवधि के निवेश आसान हुए।
एफडीआई नियमों में ढील और आईएन-स्पेस की सिंगल-विंडो मंजूरी प्रणाली से भारतीय और विदेशी दोनों तरह की कंपनियों की भागीदारी बढ़ी।
उन्होंने बताया कि 2025 तक भारत में 300 से ज्यादा सक्रिय स्पेस स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं, जो लॉन्च व्हीकल, सैटेलाइट, पृथ्वी अवलोकन, संचार, इंजन, इलेक्ट्रॉनिक्स और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
2025 में भारतीय निजी अंतरिक्ष कंपनियां सिर्फ प्रयोग तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि असल रूप में इस्तेमाल तक पहुंचीं। स्काईरूट एयरोस्पेस और अग्निकुल कॉसमॉस ने अपने लॉन्च सिस्टम पर अच्छी प्रगति की।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्काईरूट के विक्रम-I लॉन्च व्हीकल और इन्फिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया।
पिक्सेल कंपनी ने 2025 में भारत के पहले निजी सैटेलाइट समूह फायरफ्लाई सीरीज को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किया, जिसमें 6 सैटेलाइट शामिल हैं, जो पृथ्वी की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें लेते हैं।
डिगंतरा ने अपना पहला व्यावसायिक स्पेस निगरानी सैटेलाइट लॉन्च किया। वहीं, बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस, थ्रस्टवर्क्स, ओमस्पेस, जोवियन और गैलेक्‍सीआई जैसी कंपनियों ने भी अपनी तकनीकी क्षमता दिखाई।
भट्ट ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 में सरकार ने अंतरिक्ष और नई तकनीक को और समर्थन दिया। इसमें राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन, स्टार्टअप्स के लिए फंड, क्रेडिट गारंटी, अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) का विस्तार और डीप-टेक फंड शामिल हैं।
वित्त वर्ष 2025 में भारतीय स्पेस स्टार्टअप्स ने करीब 150 मिलियन डॉलर जुटाए, जिससे अब तक की कुल फंडिंग 617 मिलियन डॉलर से ज्यादा हो गई है।
इसके अलावा, आईएन-स्पेस का 1,000 करोड़ रुपए का वेंचर कैपिटल फंड और 1 लाख करोड़ रुपए की रिसर्च व इनोवेशन योजना से अंतरिक्ष और नई तकनीक को लंबे समय तक मदद मिलेगी।
इस साल शुरू हुआ 500 करोड़ रुपए का टेक्नोलॉजी अडॉप्शन फंड भी स्टार्टअप्स और एमएसएमई को नई अंतरिक्ष तकनीक विकसित करने में मदद करेगा।
--आईएएनएस
 

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