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तिलहन मिशन की कवायद जारी, खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनना लक्ष्य

Source : business.khaskhabar.com | Dec 27, 2019 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 oilseeds mission exercise continues aim to become self sufficient in edible oil 421112नई दिल्ली। देश में खाने के तेल की महंगाई को लेकर चिंतित मोदी सरकार ने राष्ट्रीय तिलहन मिशन की कवायद शुरू कर दी है और इसका खाका भी तैयार हो चुका है, जिस पर मंथन जारी है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि राष्ट्रीय तिलहन मिशन पर जब अमल होगा तो खाद्य तेल के आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी।

भारत हर साल तकरीबन 150 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है, जबकि घरेलू उत्पादन तकरीबन 70-80 लाख टन है। ऐसे में खाने के तेल के लिए भारत मुख्य रूप से आयात पर निर्भर करता है, जिसके लिए काफी विदेशी मुद्रा की जरूरत होती है। ऐसे में देश का आयात बिल कम करने के लिए तिलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़ाना लाजिमी है।

तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार तेल आयात पर निर्भरता कम करने को लेकर गंभीर है और मिशन मोड में तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए जल्द ही सरकार राष्ट्रीय तिलहन मिशन लाएगी।

हाल ही में हैदराबाद में इस संबंध में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी आईसीएआर के वैज्ञानिकों से लेकर खाद्य तेल उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

सरकार ने अगले पांच साल में देश में तिलहनों का उत्पादन मौजूदा तकरीबन 300 लाख टन से बढ़ाकर 480 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है। इस प्रकार पांच साल में तिलहनों का उत्पादन 180 लाख टन बढ़ाया जाएगा, जिसका खाका सरकार ने तैयार कर लिया है।

आईसीएआर के तहत आने वाले राजस्थान के भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय के कार्यकारी निदेशक पी.के. राय ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि राष्ट्रीय तिलहन मिशन के तहत सरकार ने पांच साल में 10,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है।

मतलब, हर साल इस पर 2,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। हालांकि उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सटैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी.वी. मेहता इस राशि को कम मानते हैं। उनका कहना है कि सरकार को राष्ट्रीय तिलहन मिशन के लिए हर साल 5,000 करोड़ रुपये का बजट रखना चाहिए, ताकि अगले पांच साल में 180 लाख टन तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।

उन्होंने कहा कि खाद्य तेल का सालाना आयात बिल करीब 75,000 करोड़ रुपये है और सरकार को इससे आयात शुल्क के तौर पर 30,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। लिहाजा, इसी रकम से तिलहन मिशन का बजट बढ़ाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय तिलहन मिशन के तहत चार सब मिशन का खाका बनाया गया है, जिसमें चार प्रमुख कार्य शामिल है-

प्राथमिक स्रोत से तेल का उत्पादन बढ़ाना : इसके अंर्तगत सोयाबीन, सरसों-तोरिया, मूंगफली, सूर्यमुखी, तिल, कुसुम और रामतिल का उत्पादन बढ़ाने की योजना है।

द्वितीयक स्रोत से तेल का उत्पादन बढ़ाना : इसके अंतर्गत ऐसी फसल, जिसका उत्पादन मुख्य रूप से तेल के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि तेल उससे एक उपोत्पाद के रूप में मिलता है। मसलन, कॉटन तेल, अलसी का तेल, ब्रायन राइस तेल आदि।
(आईएएनएस)
तिलहन उत्पादन क्षेत्र में प्रसंस्करण युनिट लगाना : जिन क्षेत्रों में तिलहनों का उत्पादन होता है, वहां प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना का प्रावधान किया गया है, जिससे किसानों को उनकी फसलों का दाम मिल सके।

उपभोक्ता जागरूकता : तेल का किफायती उपभोग के फायदे से लोगों को अवगत कराने के लिए जागरूकता अभियान चलाना।

विषेषज्ञ बताते हैं कि देश की बढ़ती आबादी के साथ तेल खपत में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन आईसीएमआर के एक शोध में एक व्यक्ति को रोजाना 30 ग्राम तेल खाने की सलाह दी गई है। इसका अनुपालन करने पर एक व्यक्ति साल करीब 11 किलो तेल खाएगा, जबकि एनएएएस की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में प्रति व्यक्ति तेल की खपत 19.3 किलो है।

इस प्रकार, घरेलू उत्पादन में वृद्धि होने और प्रति व्यक्ति उपभोग में कटौती किए जाने पर अगले पांच साल में भारत खाने के तेल के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है।

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